सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव के रथ में विराजमान होने पर साधकों द्वारा अनुभव की गई शब्दातीत कृतज्ञता !

‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी जब रथ में बैठे, उस समय रथ का रहा-सहा अस्तित्व भी नष्ट हो गया । वहां केवल परात्पर गुरु डॉक्टरजी का ही तत्त्व है’, ऐसा मुझे प्रतीत हो रहा था ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव हेतु दिव्य रथ बनाते समय साधकों द्वारा भावपूर्ण पद्धति से किए गए परिश्रम की छायाचित्रमय क्षणिकाएं

इस दिव्य रथ को साकार करते समय अनेक शुभचिंतकों ने भी स्वयंप्रेरणा से सहायता की । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने भी समय-समय पर मार्गदर्शन किया ।

दिव्य रथ के निर्मिति की सेवा समर्पित भाव से तथा भावपूर्ण पद्धति से करनेवाले साधकों का परिचय !

‘वास्तव में देखा जाए, तो ‘साधकों के हाथों से रथ बनना’ ही एक बडी अनुभूति है । हम में से किसी को भी रथ बनाने के संदर्भ में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था । महर्षिजी एवं सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी की कृपा एवं पू. कवटेकर गुरुजी के मार्गदर्शन के कारण ही यह संभव हुआ ।

वर्ष २०२३ के सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव हेतु रथ बनाने की पृष्ठभूमि !

रथोत्सव संपन्न होने के उपरांत हमने प.पू. गुरुदेवजी से पूछा, ‘‘इस रथ को वापस भेजने के लिए मन तैयार नहीं हो रहा है । क्या हम इस रथ को रख लें ?’’ उस समय प.पू. गुरुदेवजी ने कहा, ‘‘इस रथ को वापस भेजना है न, तो भेजेंगे । आगे जाकर भगवान की इच्छा हो, तो हमारा अपना रथ तैयार होगा ।’’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव के लिए लकडी का रथ बनाने के संदर्भ में सप्तर्षि द्वारा समय-समय पर साधकों का किया गया मार्गदर्शन !

‘वर्ष २०२३ के सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव हेतु संपूर्ण काष्टरथ बनाया जाए । यह रथ वर्ष २०२२ के रथ जैसा गाडी पर बंधा हुआ नहीं होना चाहिए । मंदिर के उत्सव के समय जिस प्रकार भक्त भगवान का रथ खींचते हैं, ठीक उसी प्रकार साधक श्रीविष्णुस्वरूप गुरुदेवजी का रथ खींचें ।

‘गरमी का कष्ट न हो’; इसके लिए निम्न सावधानियां बरतें !

‘आजकल गर्मी का मौसम चल रहा है । इस काल में ‘शरीर का तापमान बढ जाना, पसीना छूटना, शक्ति न्यून होना, थकान होना’ इत्यादि कष्ट होते हैं । तापमान बढने से व्यक्ति मूर्च्छित होकर (लू लग जाने से) मृत्यु होने के भी कुछ उदाहरण हैं । गर्मियों में होनेवाली विभिन्न बीमारियों से दूर रहने हेतु सभी को निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –

जयपुर के श्री अग्रसेन पब्लिक स्कूल में तनावमुक्ति पर कार्यशाला !

जीवन में सद्गुणों का अभाव और दोषों की अधिकता जीवन को तनावमय बनाती है । हमारे गुण-दोष पर निर्भर है कि हम परिस्थिति को किस दृष्टि से देखते हैं । इसलिए दोष-निर्मूलन के साथ गुण-संवर्धन हेतु प्रयास करते हैं, तो निश्चित ही आनंदमय जीवन बिता सकते हैं

भोपाल के हेमा हायर सेकेंडरी स्कूल में तनावमुक्ति पर प्रवचन !

मनुष्य का मन कैसे कार्य करता है और गुणवृद्धि एवं उपासना से उसपर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है । इस विषय में मार्गदर्शन हुआ । इस कार्यक्रम का लाभ स्कूल के १०० से अधिक अध्यापकों ने लिया।

जयपुर में सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि आश्रम के साधकों के लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा उद्बोधन !

भजन गाना, भजन अर्थ समझकर गाना, भजन के समय उत्कट भक्ति का अनुभव करना, भजन में बताई बातें जीवन में उतारना, ऐसे अगले-अगले चरण यदि हम जीवन में लाएं, तो निश्चित रूप से हम गुरुकृपा को प्राप्त कर सकते हैं’

हिन्दू जनजागृति समिति की मध्य प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से सदिच्छा भेंट !

इस समय उन्हें हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मशिक्षा संबंधी चल रहे कार्य से अवगत कराया । राष्ट्र विरोधी हलाल जिहाद के संकट के विषय में जानकारी देकर इस विषय में प्रकाशित हलाल जिहाद ग्रंथ उन्हे भेंट किया गया ।