ऐसे बना दिव्य रथ !
सप्तर्षिें द्वारा समय-समय पर बताए अनुसार तथा पंचशिल्पी पू. काशीनाथ कवटेकर गुरुजी के मार्गदर्शन में सनातन आश्रम के साधकों ने भावपूर्ण पद्धति से श्रीमन्नारायणस्वरूप गुरुदेवजी के लिए दिव्य रथ बनाने की सेवा संपन्न की । इस दिव्य रथ को साकार करते समय अनेक शुभचिंतकों ने भी स्वयंप्रेरणा से सहायता की । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने भी समय-समय पर मार्गदर्शन किया ।
श्री गरुडदेवता की मूर्ति बनानेवाले श्री. चैतन्य आचार्य !
‘रथ के अगले भाग में सबसे नीचे श्री गरुड की मूर्ति लगाई गई है । कुमटा (कर्नाटक) के शुभचिंतक श्री. चैतन्य आचार्य ने सेवा स्वरूप यह मूर्ति बनाकर दी । उन्होंने केवल ८ ही दिन में हाथ से यह मूर्ति बनाकर दी ।
उडनेवाले गरुड के पंख जैसे दिखेंगे, उस प्रकार का रंगकाम करने से पहले लकडी की नसें (grains) एक-दूसरे से मिली हुई दिखाई दे रही थीं । गरुड के दोनों पैरों की उंगलियों के नाखूनों पर श्वेत लकडियों की नसें (grains) आई थीं । उसके कारण वो सचमुच ही उंगलियों के नाखून लग रहे थे ।’
– श्री. प्रकाश सुतार, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.