देव दीपावली कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति का सम्मान !
हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी और सनातन संस्था की श्रीमती प्राची जुवेकर को मुख्य अतिथि के रूप में माल्यार्पण कर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया ।
हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी और सनातन संस्था की श्रीमती प्राची जुवेकर को मुख्य अतिथि के रूप में माल्यार्पण कर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया ।
हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के ध्येय हेतु अखंड कार्यरत, अलौकिक कार्यक्षमता, सभी का आधारस्तंभ एवं महर्षिजी द्वारा ‘श्री महालक्ष्मी का अवतार’ कहकर गौरवान्वित श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का मार्गशीर्ष शुक्ल १४ को ५२ वां जन्मदिवस है ।
सीतामाता ने जहां अग्निपरीक्षा दी थी, उस स्थान पर कार्यरत वयोवृद्ध व्यवस्थापक ने बताया, ‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी सीतामाता के समान दिख रही हैं !’
जैसे-जैसे जीव की साधना बढती है, वैसे-वैसे देह में विद्यमान पंचमहाभूतों में जागृति आती है । उपासनामार्ग के अनुसार अथवा साधना के स्तर के अनुसार संबंधित तत्त्व का स्तर बढता है । उस समय देह पर उसके दृश्य परिणाम दिखाई देते हैं ।
एक सांप्रदायिक जन्मोत्सव । मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मृग नक्षत्र पर सायंकाल दत्त का जन्म हुआ, इसलिए इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव सर्व दत्तक्षेत्रों में मनाया जाता है ।
दत्त अर्थात निर्गुण की अनुभूति दिया हुआ । दत्त वे हैं जिन्हें ‘वह स्वयं ब्रह्म ही है, मुक्त है, आत्मा है’, यह अनुभूति है । जन्म से ही दत्त को निर्गुण की अनुभूति थी, जबकि साधकों को ऐसी अनुभूति होने के लिए अनेक जन्म साधना करनी पडती है ।
ऋषि-मुनियों समान तपस्या, सर्वज्ञता, लीलासामर्थ्य इत्यादि गुण विशेषताओं से युक्त अद्वितीय व्यक्तित्व अर्थात कुछ वर्ष पूर्व इस भूतल को अपने अस्तित्व से पावन करनेवाले योगतज्ञ दादाजी !
आगे चलकर, प्रगतिके लिये व्यक्तिगत प्रयास अत्यावश्यक हैं । मोक्षप्राप्तिके लिये प्रयास केवल अकेलेको ही करने पडते हैं और मोक्षप्राप्ति केवल अकेलेको ही होती है ।
हिन्दू राष्ट्र कई हजार वर्ष टिकेगा; परंतु ग्रंथों का ज्ञान अनंत काल टिकनेवाला है । इसलिए जैसे हिन्दू राष्ट्र शीघ्र आना आवश्यक है, उतनी ही शीघ्रता, अपातकाल और तीसरे विश्वयुद्ध के आरंभ होने से पहले ग्रंथ प्रकाशित करने की है ।