नेताओं और साधकों में मूलभूत अंतर !

‘नेता समाज में स्वयं के लाभ के लिए ‘मुझे मत दीजिए’, ऐसा कहते हैं। इसके विपरीत साधक लोगों से स्वयं के लिए कुछ नहीं मांगते, अपितु ‘ईश्वर प्राप्ति हेतु साधना करें’, ऐसा कहते हैं!’

विज्ञान से तात्कालिक सुख जबकि अध्यात्म से चिरंतन आनंद की प्राप्ति !

‘विज्ञान यह सिखाता है कि माया संबंधी वस्तुएं कैसे प्राप्त करें, उनसे तात्कालिक सुख कैसे प्राप्त करें ? इसके विपरीत अध्यात्म यह सिखाता है कि सर्वस्व का त्याग कर चिरंतन आनंद कैसे प्राप्त करें ।’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘मानव का जन्म क्यों हुआ ? जन्म के पूर्व वह कहां था ? मृत्यु के उपरांत वह कहां जाएगा ? इत्यादि विषयों की थोडी-बहुत भी जानकारी न रखनेवाले पश्चिमी तथा साम्यवादी क्या कभी मानवजाति की समस्याएं दूर कर पाएंगे ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर ही नहीं अपितु उनमें अशुभ से कैसे बचें, इसकी जानकारी रखनेवाला एकमात्र हिन्दू धर्म ही मानवजाति का तारणहार है !’

Sanatan Rashtra Shankhnad Mahotsav : गोवा में ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ का भव्य आयोजन !

समस्त मानवजाति के परम कल्याण तथा रामराज्य की स्थापना हेतु कार्यरत सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की ८३ वीं जयंती एवं सनातन संस्था के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में गोवा में ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ भव्य रूप से मनाया जाएगा ।

Sanatan Rashtra Shankhnad Mahotsav : गोवा के मुख्यमंत्री, साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ के लिए निमंत्रण !

सनातन संस्था के संस्थापक डॉ. सच्चिदानंद परब्रह्म  जयंत आठवले  , जिन्होंने विश्व कल्याण हेतु रामराज्य के साथ ‘सनातन राष्ट्र’ का लक्ष्य निर्धारित किया है, उनकी ८३ वीं जयंती इस वर्ष गोवा में भव्य स्वरूप में मनाई जाएगी।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करने पर उनमें विद्यमान समष्टि भक्तिभाव के कारण श्रीराम के चित्र में विद्यमान समष्टि के कल्याण हेतु देवतातत्त्व कार्यरत होना

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी स्वयं के स्वास्थ्य-लाभ हेतु एक संत के बताए अनुसार प्रतिदिन श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करते हैं। ‘श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करने से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी पर क्या परिणाम होता है ?’, इसका अध्ययन करने हेतु एक परीक्षण किया गया।

हिन्दू राष्ट्र के उद्गाता सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का जन्म एवं शैक्षिक जीवन

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की ८३ वीं जयंती के अवसर पर गोवा में ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ का आयोजन किया है । इस उपलक्ष्य में उनके जीवन चरित्र के विषय में यह लेखमाला आरंभ कर रहे हैं ।

विद्यार्थी संगठनों में सक्रियता दर्शानेवाले पत्रक

‘प्रमुख संगठक’ के रूप में प.पू. डॉ. आठवलेजी का नाम दर्शाता शिवसेना की ‘भारतीय विद्यार्थी सेना’ का पत्रक

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का इंग्लैंड प्रस्थान, नौकरी एवं शोधकार्य

मुंबई के विविध चिकित्सालयों में ५ वर्ष नौकरी करने के उपरांत  डॉ. आठवलेजी ने ४.७.१९७१ को मनोविकारों के लिए सम्मोहन उपचार-पद्धतियों के विषय में अधिक शोध करने हेतु इंग्लैंड प्रस्थान किया । उन्होंने वर्ष १९७१ से वर्ष १९७८ की कालावधि में ब्रिटेन में वास्तव्य किया ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी को अलिंगन देते हुए छायाचित्र देखकर भगवान श्रीराम एवं श्री हनुमान की भावभेंट का स्मरण होना

पू. हरि शंकर जैनजी के मन में परात्पर गुरु डॉक्टरजी के प्रति हनुमानजी की भांति उच्च कोटि का भक्तिभाव होना