‘राम तांडव स्तोत्र’ के कारण लाखों कारसेवकों को मिला बल !
इस स्तोत्र का पाठ करके देखें । इसमें एक निराली ही ऊर्जा है । वही ऊर्जा जिसने क्रूर आक्रमणकारियों का नामोनिशान मिटा डाला । वही ऊर्जा जिसने लाखों कारसेवकों को बल प्रदान किया ।
इस स्तोत्र का पाठ करके देखें । इसमें एक निराली ही ऊर्जा है । वही ऊर्जा जिसने क्रूर आक्रमणकारियों का नामोनिशान मिटा डाला । वही ऊर्जा जिसने लाखों कारसेवकों को बल प्रदान किया ।
२२.१.२०२४ को अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की विधिवत प्राणप्रतिष्ठा होगी । इस प्राणप्रतिष्ठा के कारण अयोध्या से साक्षात श्रीराम के स्पंदन भारत में ही नहीं, अपितु संपूर्ण पृथ्वी पर नियमित रूप से प्रक्षेपित होंगे । यह एक प्रकार से प्रभु श्रीराम का सूक्ष्म स्तरीय अवतरण है ।
प्रभु श्रीराम के काल में संपूर्ण प्रजा धर्मपालक तथा रामभक्त थी; इसलिए उसे श्रीराम जैसे धर्मपालक राजा एवं रामराज्य मिला । भारत को भी पुनः रामराज्य का गतवैभव प्राप्त कराने हेतु हिन्दू समाज को धर्मपालन एवं रामभक्ति कर आध्यात्मिक बल बढाना होगा ।
मंदिर के माध्यम से रामतत्त्व कार्यरत होगा तथा उसके लिए आध्यात्मिक प्रेरणा मिलेगी । अतएव रामभक्त अब अपनी उपासना की गति बढाएं तथा राष्ट्रोत्थान के कार्य में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए संगठित रूप से समर्पित हो जाएं, तो रामराज्य की प्रभात दूर नहीं !
इस खुदाई में हमें मंदिर के स्तंभों के नीचे ईटों की एक रचना दिखी । मुझे मस्जिद की दीवार में मंदिर के स्तंभ दिखाई दिए । स्तंभ के निचले भाग में ११ वीं एवं १२ वीं शताब्दी के मंदिर में दिखनेवाले संपूर्ण कलश दिखाई दिए ।
९ नवंबर २०१९ को सर्वोच्च न्यायालय की ५ न्यायाधीशों की खंडपीठ ने राममंदिर के निर्माण हेतु रामजन्मभूमि की २.७७ एकड भूमि देने का निर्णय दिया ।
रामजन्मभूमि के अभियोग (मुकदमे) में हिन्दू महासभा की ओर से सर्वाेच्च न्यायालय में पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी ने अभियोग लडा था । अयोध्या में निर्माण होनेवाले श्रीराम मंदिर और पुन: नए सिरे से बनाई जानेवाली बाबरी मस्जिद के विषय में उनके द्वारा प्रस्तुत भूमिका यहां दे रहे हैं ।
श्रीराम के कार्यकाल में विधवा स्त्रियों का विलाप सुनाई नहीं देता था । किसी भी हिंस्र पशु का किसी को उपद्रव नहीं होता था, साथ ही समस्त जनता स्वस्थ थी । उस काल में चोरी, मारपीट, डाका जैसी घटनाएं नहीं होती थी ।
अयोध्या के राममंदिर का ढांचा (डिजाइन) वास्तु शिल्पकार श्री. चंद्रकांत सोमपुरा (आयु ८० वर्ष) ने बनाया ! श्री. चंद्रकांत सोमपुरा ने ३० वर्षाें से भी अधिक काल तक राममंदिर कैसा होना चाहिए, इसपर मन:पूर्वक चिंतन और परिश्रम किए हैं ।
अयोध्या का नाम आते ही भगवान श्रीराम की जन्मभूमि और उसके लिए निरंतर संघर्ष करनेवाले एक संगठन का नाम अनायास ही मानस पटल पर उभर आता है । और वह है, विश्व हिन्दू परिषद ! आइए, राममंदिर निर्माण का इतिहास जानते हैं, इन्हीं से !