१. ९ नवंबर २०१९
सर्वोच्च न्यायालय की ५ न्यायाधीशों की खंडपीठ ने राममंदिर के निर्माण हेतु रामजन्मभूमि की २.७७ एकड भूमि देने का निर्णय दिया । इस भूमि के बदले में अयोध्या के सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण हेतु ५ एकड भूमि देने का भी निर्णय दिया ।
२. ५ फरवरी २०२०
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार केंद्र सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की स्थापना की, जिसमें १५ सदस्य रखे गए । इस न्यास में ९ स्थायी एवं ६ नामांकित सदस्य थे ।
३. ६ फरवरी २०२०
केंद्र सरकार ने न्यास को १ रुपया चंदा देकर ‘राममंदिर निर्माण अभियान’ का आरंभ किया ।
४. १९ फरवरी २०२०
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की पहली बैठक देहली में संपन्न हुई । इसमें महंत नृत्य गोपाल दास को अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जबकि विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव चंपत राय को सचिव नियुक्त किया गया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष, जबकि न्यास के कोषाध्यक्ष पद पर पुणे के प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी का चयन किया गया ।
५. १५ मार्च २०२०
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में रामलला की मूर्ति को अस्थायी रूप से मंदिर में स्थानांतरित किया गया ।
६. ५ अगस्त २०२०
अयोध्या के राममंदिर का भूमिपूजन प्रधानमंत्री मोदी के हस्तों हुआ ।
७. १५ जनवरी २०२१
राममंदिर निर्माण हेतु तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘दान अभियान’ का आरंभ किया । इस अभियान से न्यास ने लगभग ३ सहस्र ५०० करोड रुपए का चंदा इकट्ठा किया ।
८. १ जून २०२२
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के गर्भगृह की नींव रखी ।
९. २५ अक्टूबर २०२३
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २२ जनवरी २०२४ के दिन होनेवाले प्रभु श्रीराम के अभिषेक समारोह में उपस्थित रहने का निमंत्रण स्वीकार किया ।