‘२२.१.२०२४ को अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की विधिवत प्राणप्रतिष्ठा होगी । इस प्राणप्रतिष्ठा के कारण अयोध्या से साक्षात श्रीराम के स्पंदन भारत में ही नहीं, अपितु संपूर्ण पृथ्वी पर नियमित रूप से प्रक्षेपित होंगे । यह एक प्रकार से प्रभु श्रीराम का सूक्ष्म स्तरीय अवतरण है । प्रभु श्रीराम के अयोध्यापति बनने के उपरांत पृथ्वी पर रामराज्य अवतरित होता है । ‘स्थूल से कोई घटना होने के पूर्व वह सूक्ष्म स्तर पर होती है’, ऐसा शास्त्र है । अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा से सूक्ष्म स्तर पर रामराज्य, अर्थात भावी हिन्दू राष्ट्र प्रारंभ होगा ।
लगभग वर्ष २००५ में मैंने सर्वत्र के साधकों से मिलने के लिए महाराष्ट्र का अंतिम दौरा किया था । इस दौरे में मैंने सभी से कहा था, ‘आगे से ऐसा नहीं होगा कि मैं आपके जिले में प्रत्यक्ष आऊंगा अथवा मार्गदर्शन करूंगा, इसलिए ‘भावी काल में कौनसा नामजप करना है ?’, इसके विषय में साधकों के मन में प्रश्न निर्माण न हो, इसलिए अभी बता देता हूं । अभी (वर्ष २००५ में) धर्मसंस्थापना का कार्य करने का ध्येय है, इसलिए भगवान श्रीकृष्ण का (‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’) जप करें तथा हिन्दू राष्ट्र स्थापित होने पर वह रामराज्य के समान होने हेतु श्रीराम का (‘श्रीराम जयराम जय जय राम’) जप करें !’
साधक नामजप के संदर्भ में यही सीख अपने आचरण में लाएं !
अभी अयोध्या के श्रीराम मंदिर के निर्माण में स्वतंत्रता के उपरांत की ३ पीढियों का सीधा योगदान है । करोडों परिवारों ने इसके लिए पूरे मन से धन अर्पण किया । मैंने भी आठवले परिवार की ओर से वर्ष १९९१ में निर्माणकार्य हेतु आवश्यक शिलाओं के लिए दान दिया था । उसकी पावती भी अनेक वर्ष मेरे कागदपत्रों में संभालकर रखी थी । उसका उद्देश्य यही था कि भविष्य में जब श्रीराममंदिर बनेगा, तब उसमें ‘हमारे परिवार के सदस्यों ने योगदान दिया था’, यह हम आगामी पीढी को बता सकते हैं ।
श्रीराममंदिर की भांति हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य भी ३ पीढियों का है । वर्ष २०२३ से २०२५ के बीच हिन्दू राष्ट्र की स्थापना प्रारंभ होगी, इस विषय पर मैंने ग्रंथों तथा ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों में नियमित लेखन किया था । अब प्रभु श्रीराम का अधिष्ठान भारत को प्राप्त होने से हिन्दू राष्ट्र स्थापना के स्थूल स्तर के कार्य को बल मिलेगा तथा स्थूल का कार्य ५-७ वर्षाें में पूर्ण हो जाएगा, तथापि ऐसा हिन्दू राष्ट्र स्थूल से रामराज्य समान आदर्श राज्य बनने हेतु और २ पीढियों को आगे ५० वर्ष कार्य करना होगा ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था.