बच्चो, स्वभावदोष दूर कर ‘व्यक्तित्व’ विकसित करें !

स्वभावदोषों से जीवन दुःखी एवं निराशाजनक हो जाता है । स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया से दोष नियंत्रण में आते हैं और स्वयं में गुणों का विकास होता है; जिससे जीवन सुखी एवं आदर्श बनता है ।

मानवी बुद्धि एवं पारमार्थिक तथ्य !

तीनों कालों में जिस वस्तु का निषेध (मनाही) नहीं होता है, वह पारमार्थिक कहलाती है । ‘पारमार्थिक’ शब्द का मतलब होता है परमार्थ (परम अर्थ) संबंधी । परम अर्थ का मतलब होता है नाम, रूप आदि से परे, अर्थात संसार के परे ।

आध्यात्मिक स्तर घोषित होने पर स्तरानुसार जीव पर होनेवाले परिणाम और उसका अध्यात्मशास्त्र

आध्यात्मिक स्तर घोषित करने का महत्त्व, आध्यात्मिक स्तर घोषित नहीं किया गया, तो जीव में अप्रकट रूप में शक्ति का कार्यरत रहना, आध्यात्मिक स्तर घोषित करने पर आकाशतत्त्व के कारण शक्ति की जागृति होना

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

दैवी बालक ग्रंथवाचन, दैनिक ‘सनातन प्रभात’ का वाचन अथवा ‘परात्पर गुरुदेवजी के तेजस्वी विचार’ केवल पढते नहीं; अपितु तुरंत कृत्य करते हैं । वे केवल ग्रंथ अथवा दैनिक वाचन करते नहीं; अपितु उनका आचरण करते हैं । सही अर्थ में इसी को सीखना’ कहते हैं ।

सनातन संस्था द्वारा निर्धन बच्चों को सनातन की ‘संस्कार बहियों’ और ग्रंथों का निःशुल्क वितरण

सनातन संस्था द्वारा समय-समय पर समाजोपयोगी उपक्रम चलाए जाते हैं । बच्चों में व्यक्तित्व का विकास हो और अध्ययन में उन्हें सहायता मिले; इस दृष्टि से इन ग्रंथों का वितरण किया गया ।

श्री क्षेत्र द्वारापुर, धारवाड (कर्नाटक) के संत श्री परमात्माजी महाराज ने की वाराणसी के सनातन के सेवाकेंद्र से सद्भावना भेंट !

‘‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने २० वर्ष पूर्व हिन्दू राष्ट्र के विषय में बताय था, अब उसकी केवल समाज को नहीं, अपितु संतों को भी प्रतीति होने लगी है’’, ऐसा प्रतिपादन श्री क्षेत्र द्वारापुर, धारवाड (कर्नाटक) के ‘श्री परमात्मा महासंस्थानम्’ के संस्थापक श्री परमात्माजी महाराज ने किया ।

सनातन के ‘ज्ञानशक्ति प्रसार अभियान’ को कोलकाता के पू. संत स्वामी श्री कल्याणेश्वरजी महाराज के आशीर्वाद

स्वामीजी को सनातन के ग्रंथ भेंट किए गए । उन्होंने उनमें से कुछ ग्रंथ उत्सुकता से पढे और वे कहने लगे, ‘‘मैं बहुत रुचि से सनातन के ग्रंथ और पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ पढता हूं ।’’ इससे पूर्व भी विविध कार्याें के लिए स्वामीजी के आशीर्वाद मिले हैं ।

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा उत्तर भारत में ‘मकर संक्रांति’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ प्रवचन संपन्न !

चंदौसी में दिनांक १६ जनवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने मकर संक्राति निमित्त कार्यक्रम का आयोजन किया था । इसमें सनातन संस्था की ग्रंथ-प्रदर्शनी का लाभ अनेक जिज्ञासु ने लिया ।

प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज और तिरंगे के रंगोंवाले मास्क की बिक्री करनेवालों पर कार्यवाही कीजिए ! – हिन्दू जनजागृति समिति

राष्ट्रध्वज का यह अनादर रोकने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (१०३/२०११) प्रविष्ट की गई थी । इस संबंध में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज द्वारा होनेवाला अपमान रोकने का आदेश सरकार को दिया था ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘साधना कर सूक्ष्म स्तरीय ज्ञान होने पर यज्ञ का महत्त्व समझ में आता है । वह न समझने के कारण अति सयाने बुद्धिप्रमाणवादी बडबडाते फिरते हैं, ‘यज्ञ में वस्तुएं जलाने की अपेक्षा उन्हें गरीबों को दो ।’