Supreme Court on freebies : जो काम नहीं करते, उन्हें बांटने के लिए सरकार के पास पैसे हैं; लेकिन न्यायालयीन कर्मचारियों के वेतन के लिए नहीं !

सर्वोच्च न्यायालय का पैसे बांटने की योजनाओं पर क्रोध

नई दिल्ली – जो लोग कोई काम नहीं करते, उनके लिए सभी राज्यों की सरकारों के पास पैसे होते हैं। चुनाव आते ही, आप ‘लाडली बहन’ और अन्य नई योजनाओं की घोषणा करते हैं, जिनमें आप पैसों के रूप में लाभ देते हैं। अब दिल्ली में भी कुछ राजनीतिक पार्टियों की ओर से यह घोषणा की जा रही है कि यदि वे सत्ता में आए, तो विशेष योजना के अंतर्गत १ हजार से २ हजार ५00 रुपये नकद देंगे। लेकिन जब न्यायाधीशों के वेतन और पेंशन की बात आती है, तो सरकारें यह दावा करती हैं कि वे आर्थिक संकट में हैं। ऐसे शब्दों में सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक पार्टियों द्वारा नागरिकों को प्रति माह पैसे देने की योजनाओं की आलोचना की। न्यायालयीन कर्मचारी और न्यायाधीशों के वेतन और पेंशन से संबंधित याचिका पर सुनवाई के समय न्यायालय ने यह टिप्पणी की।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को ‘महिला सम्मान योजना’ के अंतर्गत पहले प्रति माह १ हजार रुपये और बाद में २ हजार ५०० रुपये देने का वादा किया है। इसके बाद कांग्रेस ने भी ‘प्यारी दीदी’ योजना की घोषणा की है, जिसमें उसने सत्ता में आने पर महिलाओं को प्रति माह २ हजार ५०० रुपये देने का आश्वासन दिया है।

संपादकीय भूमिका 

न्यायालय को ऐसी योजनाओं पर रोक लगानी चाहिए, ऐसा ही देशभक्त नागरिकों का मानना है !