उत्तर भारत में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘सम्मेद शिखरजी’ को ‘तीर्थस्थान’ घोषित करने हेतु, पाकिस्तान के हिन्दुओं की हत्याओं के विरुद्ध तथा गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रध्वज का होनेवाला अपमान रोकने हेतु प्रशासन को निवेदन प्रस्तुत

झारखंड की सरकार ने जैन समुदाय की दृष्टि से अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल झारखंड राज्य में स्थित ‘सम्मेद शिखरजी’ को व्यावसायिक दृष्टि से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया था ।

राष्ट्रप्रेमियो, राष्ट्रकर्तव्य का निर्वहन करने के लिए ये अवश्य करें !

गणतंत्र की संकल्पना वेदों में है । ‘महाभारत के सभापर्व में अर्जुन अनेक गणराज्य जीत लेते हैं’, ऐसा उल्लेख है । राजसूय यज्ञ के समय में वे ये गणराज्य जीतते हैं ।

कोटि-कोटि प्रणाम !

फरीदाबाद, हरियाणा की सनातन की ४५ वीं संत पू. श्रीमती (स्व.) सूरजकांता मेनरायजी की रथसप्तमी (२८ जनवरी २०२३) को तीसरी पुण्यतिथि है ।

गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमूल्य विचार !

‘राष्ट्र एवं धर्म के प्रति अभिमान न रखनेवाली जनता उसी प्रकार के जनप्रतिनिधियों को चुनती है । उसके कारण आज देश पतन के रसातल को पहुंच गया है । इसका एक ही उपाय है – हिन्दुओं में राष्ट्र-धर्म के प्रति अभिमान जागृत कर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना !

हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की आज २३ वीं वर्षगांठ के निमित्त सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का संदेश

‘सनातन प्रभात’ के ज्ञानशक्ति का परिपूर्ण लाभ लें ! :    ‘सनातन प्रभात’ ने प्रारंभ से ही आदर्श राष्ट्ररचना के लिए अराजकीय विचार, राष्ट्र-धर्म हित के दृष्टिकोण और ज्वलंत हिन्दुत्व की भूमिका के माध्यम से वैचारिक क्रांति का संदेश दिया है । अनेकों ने ‘सनातन प्रभात’ के वैचारिक संदेश पर आचरण कर राष्ट्र-धर्म रक्षा का कार्य भी किया है ।

अक्षय तृतीया के पर्व पर ‘सत्पात्र को दान’ देकर ‘अक्षय दान’ का फल प्राप्त करें !

हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया एक है । इसीलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । इस तिथि पर कोई भी समय शुभमुहूर्त ही होता है । इस वर्ष ३ मई २०२२ को अक्षय तृतीया हैं ।

राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाकर राष्ट्राभिमानी बनें !

हमारे राष्ट्र के तेजस्वी इतिहास और श्रेष्ठतम संस्कृति को हम समझ लेंगे, तो हममें हमारे राष्ट्र के प्रति अभिमान जागृत होगा । राष्ट्र के प्रति अभिमान होगा, मन में राष्ट्रप्रेम होगा, तो राष्ट्र के प्रतीकों के प्रति भी हमारे मन में आदर रहेगा ।

भारतीयो, २६ जनवरी के ध्वजारोहण के पश्चात जगह-जगह बिखरे ध्वजों की अवमानना से बचने का हम संकल्प करें और ध्वज का गौरव कर अपनी देशभक्ति प्रमाणित करें !

हमारा जन्म इस पवित्र भारत देश में हुआ, क्या वह केवल खान-पान के लिए और ‘मैं एवं मेरा परिवार’, ऐसा संकीर्ण विचार करने के लिए है ? यदि यह देश मेरा घर है, तो धर्म अर्थात मेरे घर के ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ परिजन हैं ! यदि ये दोंनो नहीं, तो आपका जीवन कैसा रहेगा ?

प.पू. भक्तराज महाराजजी का लीलासामर्थ्य और उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी की त्रिकालदर्शिता !

‘भविष्य में प.पू. बाबा के भजनों का अर्थ कोई तो बताएगा’, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को वर्ष २०१३ में ही ज्ञात था’, यह उनकी त्रिकालदर्शिता ही है !

आध्यात्मिक लाभ एवं चैतन्य देनेवाली मंगलमय दीपावली !

गोवत्स द्वादशी के दिन श्रीविष्णु की आपतत्त्वात्मक तरंगें कार्यरत होकर ब्रह्मांड में आती हैं । विष्णुलोक की ‘वासवदत्ता’ नामक कामधेनु इस दिन ब्रह्मांड तक इन तरंगों का वहन करने हेतु अविरत कार्य करती है ।