आज की युवा पिढी के समक्ष सनातन धर्म की श्रेष्ठता उचित पद्धति से प्रस्तुत करना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

पश्चिमियों के साथ ही पूरे विश्व के लोग आनंद की खोज में स्वयं ही सनातन धर्म एवं संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं । इसके विपरित हिन्दू अपनी अंधबौद्धिक दासतां के कारण पश्चिमी विकृति की ओर मुड रहे हैं । आज के युवानो को आधुनिक विज्ञान की अपेक्षा सनातन संस्कृति की श्रेष्ठता विशद करने की आवश्यकता है ।

शिव को प्राप्त करने के लिए गुणातीत होना होगा ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

‘आज की युवा पीढी देवतापूजन करने को उद्यत नहीं है’, इस संदर्भ में शंकासमाधान करते हुए सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा कि ‘‘कर्मकांड के आगे उपासनाकांड है । उसके अनुसार मानसपूजा, नामजप आदि के माध्यम से भी ईश्वर के निकट जाया जा सकता है ।’’

भारतीय संस्कृति में मनुष्य के सर्वांगीण विकास की कुंजी ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

‘‘अमेरिका साक्षरता के साथ आर्थिक, औद्योगिक, तंत्रज्ञान आदि विकास में आगे है; परंतु विकास की सर्वांगीण दृष्टि नहीं थी । इस कारण आज वहां ६० से ७० प्रतिशत लोग मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं । अपराध, व्यसनाधीनता, बलात्कार आदि घटनाएं वहां अत्यधिक हैं ।

देहली में आयोजित वैश्विक हिन्दू परिषद में १८ देशों के प्रतिनिधियों सहित हिन्दू जनजागृति समिति का भी सहभाग

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘‘आज हम हिन्दू राष्ट्र एवं हिन्दू जगत का विचार करने के लिए एकत्रित हुए हैं । वैश्विक परिस्थिति, व्यवस्था, समस्याएं एवं उनके समाधान की चर्चा करते समय हमें धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर चिंतन करना आवश्यक है ।

भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किए बिना हिन्दुओं की समस्याओं का समाधान असंभव ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

‘‘अनेक लोग कहते हैं, ‘भारत हिन्दू राष्ट्र ही है’; परंतु हमें यह समझना होगा कि वर्ष १९७६ में संविधान में संशोधन कर घोषित किया गया कि ‘भारत धर्मनिरपेक्ष देश है ।’

धर्मशिक्षा एवं आचरण के कारण हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की रक्षा हो ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

दीपावली के एक-एक दिन का महत्त्व हमने आनेवाली युवा पीढी को नहीं बताया, तो हिन्दू धर्म की रक्षा कैसे होगी ? अतः हमें त्योहारों एवं सोलह संस्कारों की वैज्ञानिकता एवं महत्त्व आनेवाली युवा पीढीतक पहुंचाना होगा । धर्मशिक्षा एवं आचरण के कारण हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की रक्षा होगी ।

गीता में बताए ज्ञान को जीवन में उतारना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी

‘‘कुछ लोग श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय पढते हैं; परंतु जीवन की प्रतिकूल परिस्थिति में वे गीता के ज्ञान के आधार पर लड नहीं सकते । इसलिए गीता में बताए ज्ञान को प्रत्यक्ष जीवन में उतारना आवश्यक है ।

भारत को संविधान द्वारा हिन्दू राष्ट्र घोषित करना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी

‘‘भारत स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र है; परंतु विद्यमान व्यवस्था में उसे ‘हिन्दू राष्ट्र’ के रूप में प्रतिष्ठा कहां है ? डॉक्टर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत एक व्यक्ति स्वाभाविक डॉक्टर बनता है; परंतु बिना अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) के वह ‘डॉक्टर’ के रूप में कार्य नहीं कर सकता ।

‘ज्ञानम्’ महोत्सव में हिन्दी भाषा के ‘सनातन पंचांग’ का प्रकाशन !

जयपुर के सुप्रसिद्ध ‘ज्ञानम्’ महोत्सव में धर्मजागृति के उद्देश्य से प्रकाशित किए गए ‘सनातन पंचांग’ के हिन्दी भाषा की आवृत्ति, साथ ही हिन्दी आवृत्ति का ‘एंड्रायड ऐप’ और ‘ऐपल ऐप’ का प्रकाशन किया गया ।

हिन्दू राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपने क्षेत्र के हिन्दू शक्तियों को संगठित करें ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

‘‘हिन्दू राष्ट्र के लिए समविचारी हिन्दू शक्तियों को जोडकर हमें अपने क्षेत्र के मंदिर, गोमाता, हिन्दुओं को सुरक्षित करने का संकल्प करना होगा । हिन्दू राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करने के लिए समर्पित भाव से कार्य करें । काल प्रवाह हिन्दू राष्ट्र के अनुकूल है ।