सनातन पंचांग के एंड्रॉयड पंचांग २०२४ के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ कैसे घोषित किया जाएगा ?, इस पर विचारमंथन करने के उद्देश्य से हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यहां आयोजित २ दिवसीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का ४ नवंबर को शुभारंभ हुआ । इसका उद्घाटन नेपाल के विश्व ॐकार एकता अभियान के संयोजक व्यासाचार्य किशोर गौतम, अखिल भारतीय विद्वत् परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. कामेश्वर उपाध्याय, भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी ब्रह्ममयानंदजी, असम की इंटरनेशनल सोसाइटी के संयुक्त महासचिव स्वामी स्वरूपानंद पुरीजी, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी तथा समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी के करकमलों से दीपप्रज्वलन कर किया गया । इस अधिवेशन में नेपाल सहित भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, देहली, ओडिशा तथा असम राज्य के हिन्दुत्वनिष्ठ भाग ले रहे हैं ।
शंखनाद तथा वेदमंत्रों का पाठ करने के उपरांत हिन्दू जनजागृति समिति के प्रेरणास्रोत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा भेजे गए शुभ संदेश का वाचन किया गया । उसके उपरांत संतों के करकमलों से सनातन पंचांग के एंड्रॉयड पंचांग २०२४ के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण किया गया ।
अधिवेशन में अपने वक्तव्य में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा कि ‘आज संपूर्ण देश में जिस प्रकार से हिन्दू राष्ट्र की चर्चा हो रही है, उस प्रकार से हिन्दू राष्ट्र के विरोध में दुष्प्रचार भी किया जा रहा है । हम विशुद्ध सनातन धर्म पर आधारित रामराज्य की व्यवस्था के पक्षधर हैं । हमें लोकतंत्र में धर्मनिष्ठ राज्यकर्ता चाहिए तथा उसे भी राजकाज करने के लिए धर्मोपयोगी मार्गदर्शन करने की व्यवस्था चाहिए । इसके लिए हमें हमारे प्राचीन अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र, न्यायशास्त्र एवं वैदिक ज्ञान का सदुपयोग कर नवनिर्माण करना पडेगा । यह एक प्रकार से धर्म की संस्थापना होगी ।
इस समय व्यासाचार्य किशोर गौतम गुरुजी ने बताया कि ‘कृण्वनतो विश्वम् आर्यम्’ के माध्यम से सारा विश्व हिन्दू धर्म से फलित है । इण्डोनेशिया, अफगानिस्तान, कम्बोडिया इत्यादि सारे देश पहले हिन्दू धर्म से परिपूर्ण थे और वर्तमान में हिन्दू धर्म से संबंधित प्रमाण चिन्ह अभी तक इन देशों में विद्यमान हैं । डॉ. कामेश्वर उपाध्यायजी ने बताया कि ‘हिन्दू राष्ट्र के लिए अलग संविधान बनना चाहिए ।’