हो रहे किसी कष्ट के लिए प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति से एक बार उपचार ढूंढने के उपरांत प्रतिदिन उपचार न ढूंढकर १५ दिन उपरांत ही पुनः उपचार खोजें और तब तक वही उपचार करते रहें !

साधकों को महत्त्वपूर्ण सूचना

‘वर्तमान में साधक स्वयं को हो रहा कष्ट दूर करने हेतु प्रतिदिन प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति के अनुसार उपचार खोजते हैं तथा उसके अनुसार नामजप करते हैं । साधकों को ‘प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति द्वारा खोजना संभव हो तथा उन्हें उसका अभ्यास हो, इस दृष्टि से ‘प्रतिदिन नामजप खोजें’, ऐसा बताया गया था; परंतु अब अधिकांश साधक इस उपचार-पद्धति से अवगत होने के कारण इसके आगे प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति द्वारा प्रतिदिन नामजप खोजने की आवश्यकता नहीं है । जैसे कि जहां एक बार ‘क्या बीमारी है’, यह ज्ञात होने पर हम उसपर औषधियां लेते रहते हैं । हम प्रतिदिन बीमारी का परीक्षण नहीं करते । इस दृष्टि से निम्न सूत्र ध्यान में लें –

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी

१. आध्यात्मिक कष्टरहित तथा धीमे कष्ट से ग्रस्त साधक

ऐसे साधक जब एक बार प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति द्वारा उपचार खोजते हैं, उसके उपरांत सामान्यतः उसमें १५ दिन वही नामजप निकलकर आता है । इसलिए आध्यात्मिक कष्टरहित तथा धीमे कष्ट से ग्रस्त साधक एक बार प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति द्वारा उपचार खोजें तथा उसके आगे १५ दिन तक वही उपचार जारी रखें ।

२. मध्यम एवं तीव्र आध्यात्मिक कष्ट से ग्रस्त साधक

जिस समय ‘अब कष्ट की तीव्रता बढ रही है’, यह ध्यान में आएगा, उस समय प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति द्वारा पुनः उपचार खोजें । कष्ट की तीव्रता बढी है, ऐसा प्रतीत न होता हो, तो १५ दिन में एक बार उपचार खोजकर उसके आगे १५ दिन तक वही उपचार जारी रखें ।

टिप्पणी

१. तीव्र कष्ट से ग्रस्त कुछ साधकों को ध्यान में नहीं आता कि ‘उनका आध्यात्मिक कष्ट बढ गया है ।’ ऐसे साधक उन्हें उपचार बताने के लिए जोडकर दिए साधकों से पूछकर प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति के अनुसार उपचार करें ।

२. यह सूचना केवल प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति द्वारा उपचार खोजने के संदर्भ में है । इसके अतिरिक्त इससे पूर्व बताए आध्यात्मिक उपचार, विभिन्न पद्धतियों से आवरण निकालना आदि उपचार पहले की भांति ही प्रतिदिन करते रहें ।’

– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, पीएच.डी., सनातन आश्रम, गोवा.