(और इनकी सुनिए…) ‘नेपाल के पास पहले ही बिजली कम होते हुए भी भारत को क्यों बेच रहा है ?’ – चीन
‘नेपाल को क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह बताने का अधिकार चीन को किसने दिया ?,’ ऐसा प्रश्न नेपाल की जनता को चीन से पूछना चाहिए !
‘नेपाल को क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह बताने का अधिकार चीन को किसने दिया ?,’ ऐसा प्रश्न नेपाल की जनता को चीन से पूछना चाहिए !
चीन के इस प्रकल्प का भारत सहित संसार के अनेक देशाें ने विरोध किया है, तथा कुछ देश अब इस प्रकल्प से बाहर भी निकल रहे हैं ।
भारत के संबंध में इस प्रकार का वक्तव्य देने वाले चीनी राजदूत को कठोर भाषा में उत्तर देना अत्यंत आवश्यक है !
चीन द्वारा अपने मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश, दक्षिण चीनी समुद्र आदि का समावेश करने का प्रकरण !
नेपाल में साम्यवादियों की (कम्यूनिस्ट) सरकार होने से उनको हिन्दू एवं हिन्दू राष्ट्र से एलर्जी है । इस कारण उन्होंने पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री से मिलना अस्वीकार किया, तो इसमें कैसा आश्चर्य !
भारतीय सेना में अग्निपथ योजना के अंतर्गत नेपाल ने गोरखा सैनिकों की भर्ती लगभग एक वर्ष पूर्व स्थगित कर दी थी । भारत के नेपाल के राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने वक्तव्य दिया है कि ऐसा होने पर भी यह प्रकरण पूर्णत: समाप्त नहीं हुआ है ।
भारत अब जलविद्युत परियोजनाओं की संपूर्ण जांच करना चाहता है । ऐसी स्थिति में अब चीन द्वारा निर्माण की गई बिजली नेपाल भारत को नहीं बेच पाएगा ।
पशुपतिनाथ एरिया डेवलपमेंट ट्रस्ट’ के संचालक घनश्याम खतिवड ने कहा कि, इस प्रकरण की जांच पूर्ण होने तक मंदिर में सुरक्षा कर्मचारियों सहित नेपाली सेना के सैनिक वहां तैनात किए गए हैं ।
भारत के समान ही आने वाले कुछ दशकों के उपरांत नेपाल भी हिन्दू अल्पसंख्यक देश होने पर आश्चर्य न हो ! यह स्थिति आने के पूर्व ही भारत और नेपाल में हिन्दू राष्ट्र होने के लिए प्रयास होने चाहिएं !
पश्चिमियों के साथ ही पूरे विश्व के लोग आनंद की खोज में स्वयं ही सनातन धर्म एवं संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं । इसके विपरित हिन्दू अपनी अंधबौद्धिक दासतां के कारण पश्चिमी विकृति की ओर मुड रहे हैं । आज के युवानो को आधुनिक विज्ञान की अपेक्षा सनातन संस्कृति की श्रेष्ठता विशद करने की आवश्यकता है ।