स्पेन में गत ८ दशकों में चर्च में ४ लाख लडकियों का लैंगिक शोषण !
‘चर्च अर्थात लैंगिक शोषण का स्थान’ और ‘पादरी अर्थात वासनांध व्यक्ति’, ऐसी प्रतिमा किसी के मन में निर्माण हो रही हो, तो इसमें गलत क्या है ? ऐसी घटनाओं के विरोध में जगभर के ईसाई खुले आम विरोध करते हुए क्यों नहीं दिखाई देते ?