हिन्दी सिनेमा में स्त्री के गुण की अपेक्षा उसके शरीर को अधिक महत्व दिया जाता है ! – अभिनेत्री पायल घोष
हिन्दी सिनेमा की यह वास्तविकता आज विश्व को पता है । ऐसा सिनेमा जगत समाज में कभी नैतिकता निर्माण करने के लिए सिनेमा के माध्यम से प्रबोधन करेगा क्या ?