धार्मिक भावना आहत करने के अपराध की उपेक्षा नहीं की जा सकती ! – उत्तराखंड उच्च न्यायालय
भारतीय दंड संहिता २९५ अ के अंतर्गत आरोपी के विरुद्ध पंजीबद्ध अपराध को निरस्त करने की मांग को अस्वीकार करते हुए न्यायालय ने यह मत व्यक्त किया है ।
भारतीय दंड संहिता २९५ अ के अंतर्गत आरोपी के विरुद्ध पंजीबद्ध अपराध को निरस्त करने की मांग को अस्वीकार करते हुए न्यायालय ने यह मत व्यक्त किया है ।
देश की राजधानी के न्यायालय में कानून तथा सुरक्षा की यह स्थिति पुलिस के लिए लज्जाजनक !
‘यू ट्यूब’ समान अमेरिकी प्रतिष्ठानों को सामाजिक बंधन न होने की घटना पुन: एक बार सामने आई है ! सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को “क्या ‘यू ट्यूब’ न्यायालय के आदेश का हूबहू पालन करेगा ?’, यह देखना चाहिए !
उच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी करने का प्रकरण !
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने मोदी उपनाम की मानहानि की थी ।
चाहे वह किसी भी धर्म की हो, केरल उच्च न्यायालय ने एक अभियोग की सुनवाई के समय ऐसा कहा ।
ऐसे पदाधिकारियों वाला कांग्रेस दल कानून का शासन कैसे देगा ?
अपराधियों को बंदी बनाकर उनके अभियोग प्रलंबित रखना, अपराधी एवं अभियोगी दोनों के साथ अन्याय है । इस स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए सरकार को कडे प्रयास करना आवश्यक !
न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि यह प्रकरण अधिक समय तक प्रलंबित रखना असंभव होगा । विशेषत: देश में सभी का ध्यान इस विषय पर केंद्रित है ।
हडताल करनेवाले अधिवक्ताओं को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की चेतावनी