धार्मिक भावना आहत करने के अपराध की उपेक्षा नहीं की जा सकती ! – उत्तराखंड उच्च न्यायालय

उत्तराखंड उच्च न्यायालय

देहरादून (उत्तराखंड) – भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है । इसलिए, यहां किसी भी समाज की धार्मिक भावना आहत करने के अपराध की अनदेखी नहीं की जा सकती, यह विचार उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने व्यक्त किया है । भारतीय दंड संहिता २९५ अ के अंतर्गत आरोपी के विरुद्ध पंजीबद्ध अपराध को निरस्त करने की मांग को अस्वीकार करते हुए न्यायालय ने यह मत व्यक्त किया है ।

न्यायालय ने आगे कहा कि भारत में प्रत्येक नागरिक के लिए दूसरे धर्म का सम्मान रखना आवश्यक है । यदि ऐसा नहीं होगा और अन्य धर्मीयों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं, तो ऐसी घटनाएं समाज को निकल जाएंगी । इससे समाज में अशांति और शत्रुता बढ़ेगी ।