धार्मिक चिन्हों से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का अध्ययन करें ! – शॉन क्लार्क, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय

  • बैंकॉक की परिषद में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोधनिबंध को ‘सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण’ पुरस्कार !

  • ‘दैवी एवं दानवी – हिन्दू एवं नाजी स्वस्तिक के आध्यात्मिक अंगों का तुलनात्मक अध्ययन’ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक हैं, तथा सहलेखक हैं श्री. शॉन क्लार्क !

श्री. शॉन क्लार्क  ‘सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण’ पुरस्कारसे सन्मानित

मुंबई – ‘प्रत्येक चिन्ह से सूक्ष्म सकारात्मक अथवा नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होते रहते हैं । अधिकतर धार्मिक नेता उनके धार्मिक चिन्हों से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों की ओर ध्यान नहीं देते तथा उसका प्रतिकूल परिणाम उनके अनुयायियों एवं भक्तों पर हो सकता है । इसके लिए धार्मिक चिन्हों से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का अध्ययन किया जाना चाहिए’, ऐसे विचार ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अनुसंधान समूह के सदस्य श्री. शॉन क्लार्क (आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत) ने व्यक्त किए । कुछ ही दिन पूर्व बैंकॉक, थाइलैंड में संपन्न ‘टेंथ इंटरनेशनल कॉन्फरेंस ऑन सोशल साइंसेस २०२३’ परिषद में श्री. क्लार्क ऐसा बोल रहे थे । उन्होंने इस परिषद में ‘दैवी एवं दानवी – हिन्दू एवं नाजी स्वस्तिक के आध्यात्मिक अंगों का तुलनात्मक अध्ययन’ शोधनिबंध प्रस्तुत किया । इस शोधनिबंध के लेखक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी हैं तथा श्री. क्लार्क सहलेखक हैं ।

श्री. शॉन क्लार्क ने चिन्हों के विषय में तथा विशेषकर विभिन्न धार्मिक चिन्हों के विषय में वैज्ञानिक उपकरणों तथा सूक्ष्म ज्ञान के माध्यम से किए गए शोध का विस्तार से प्रस्तुतीकरण किया । इसमें उन्होंने प्रमुखता से हिन्दू स्वस्तिक तथा नाजी स्वस्तिक को ४५ अंश में घूमाकर काले रंग में तथा लाल रंग की पृष्ठभूमि पर बनाए गए नाजी स्वस्तिक से प्रक्षेपित स्पंदनों एवं ऊर्जा का निष्कर्ष रखा । वैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम से किए गए परीक्षण में मूल हिन्दू स्वस्तिक चिन्ह में बडी मात्रा में सकारात्मक स्पंदन एवं ऊर्जा दिखाई दी, जबकि नाजी स्वस्तिक चिन्ह में बडी मात्रा में नकारात्मक स्पंदन एवं ऊर्जा दिखाई दी । केवल इतना ही नहीं, अपितु नाजी स्वस्तिक को भुजा पर धारण करने पर उन व्यक्तियों में समाहित नकारात्मक ऊर्जा प्रचुर मात्रा में बढ गई, तथा उन व्यक्तियों में निहित सकारात्मक ऊर्जा संपूर्णतया नष्ट हो गई । इसके विपरीत हिन्दू स्वस्तिक को भुजा पर धारण करने पर नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होकर सकारात्मक ऊर्जा बढ गई ।

हिन्दू धर्म के ‘ॐ’ चिन्ह के संगणकीय फॉण्ट में उपलब्ध दो भिन्न-भिन्न आकारों तथा ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ निर्मित ॐ, ऐसे तीन ‘ॐ’ चिन्हों का भिन्न-भिन्न वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से अध्ययन किया गया । उसमें संगणकीय ॐ के एक आकार से नकारात्मक ऊर्जा प्रक्षेपित हुई दिखाई दी, जबकि दूसरे आकार में कुछ मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा दिखाई दी; किंतु ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा बनाए गए ॐ में बडी मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा दिखाई दी । इससे धार्मिक चिन्हों से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का अध्ययन होना आवश्यक है, यह स्पष्ट होता है । (१७.९.२०२३)

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की घुडदौड !

इस परिषद में क्लार्क द्वारा प्रस्तुत शोधनिबंध को ‘सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया । अक्टूबर २०१६ से अगस्त २०२३ की अवधि में १८ राष्ट्रीय एवं ९१ अंतरराष्ट्रीय, ऐसे कुल १०९ वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं, जिनमें से १३ अंतरराष्ट्रीय परिषदों में विश्वविद्यालय को ‘सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।