हिन्दू राष्ट्र के आगमन को कोई नहीं रोक पाएगा ! – जगद्गुरु परमहंसाचार्य, तपस्वी शिविर ,अयोध्या, उत्तर प्रदेश

अयोध्या से ‘सनातन प्रभात’ का विशेष वृत्तांकन !

हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ का द्वितीय रंगीन विशेषांक

प्रभु श्रीराम मंदिर इस विशेषांक में पढें अयोध्या की महिमा , संत संदेश एवं कारसेवकों के अनुभव !

SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE : श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति के दायित्वशून्य कामकाज की कार्यकारी अधिकारियों द्वारा स्वीकृती !

प्रसाद के लिए किए गए लड्डुओं की गुणवत्ता नहीं रहीं, इस बात का कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र शेळके ने पत्रकारवार्ता में स्वीकार किया ।

‘सनातन प्रभात’ में किए गए उद्बोधन के अनुसार आज से ही कृति करना आरंभ करें !

पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की २४ वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का संदेश

‘सनातन प्रभात’ की लेखनी !

पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की लेखनी के माध्यम से राष्ट्र-धर्म के हो रहे कार्य का जब-जब गौरव हुआ, तब यह लेखनी स्थिर हुई तथा कठिन काल में भी अपनी प्रखर ध्येयनिष्ठा के कारण अविचल रही !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में समाजमानस बनानेवाला ‘सनातन प्रभात’ !

‘सनातन प्रभात’ के पाठक, वितरक, शुभचिंतक, विज्ञापनदाता, हिन्दुत्वनिष्ठ आदि सभी सनातन परिवार के एक अविभाज्य अंग ही हैं ! इस अंक के उपलक्ष्य में होनेवाला विचारों का आदान-प्रदान तो हमारे लिए संपूर्ण वर्ष के ज्ञान का संग्रह है ।

‘सनातन प्रभात’ की यात्रा के कुछ विशेष क्षणों के छायाचित्र !

दैनिक के रत्नागिरी संस्करण के प्रकाशन समारोह में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी (वर्ष १९९९)

‘सनातन प्रभात’ के ‘ई-पेपर’ का एक संत द्वारा बनाया सूक्ष्म चित्र !

मारक शक्ति के कणों का ‘ई-पेपर’ से वातावरण में, साथ ही उसे पढनेवाले व्यक्ति की ओर प्रक्षेपण होनेसे व्यक्ति को धर्म का महत्त्व समझ में आता है तथा वह व्यक्ति साधना, साथ ही धर्मकार्य करने हेतु प्रेरित होता है ।

पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मान्यवरों एवं पाठकों की प्रतिक्रियाएं !

धर्म की रक्षा, उसकी स्थापना तथा दुष्प्रवृत्तियों के विनाश हेतु ही ‘सनातन प्रभात’ का जन्म !

Mahim Fort : माहीम किले पर हुआ अतिक्रमण सरकार ने हटाया !

पीछले अनेक वर्षाें से अतिक्रमण करनेवालों ने किले का प्रवेशद्वार बंद कर वहीं से किले के भीतर तक घर बनाए थे । अब यह अतिक्रमण हटाया जाने पर अनेक वर्षाें के उपरांत किले का मुख्य द्वार खुला किया गया है ।