आध्यात्मिक स्तर का कार्य
१. आध्यात्मिक मार्गदर्शन कर संत बनानेवाली सनातन की पाठशाला की सहायता करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ !
‘सनातन प्रभात’ साधकों की आध्यात्मिक उन्नति के लिए चैतन्यमय व्यासपीठ है । साधकों को सीखने के लिए मिले सूत्र तथा प्राप्त अनुभूतियों से साधना की प्रेरणा मिलती है । संतों एवं महर्षियों द्वारा साधना के दिए निर्देशों तथा
सुवचनों से साधकों को उचित साधना करने हेतु सहायता मिलती है ।
२. सूक्ष्म से कार्य करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! अज्ञान एवं अनिष्ट शक्तियों का आवरण दूर कर ज्ञानशक्ति का आनंद प्रदान करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ !
‘सनातन प्रभात’ का कार्य स्थूल, सूक्ष्म एवं चैतन्य के स्तर पर चलता है । ‘सनातन प्रभात’ में व्यष्टि साधना एवं समष्टि कार्य में आनेवाली बाधाओं के लिए आध्यात्मिक उपचार प्रकाशित किए जाते हैं ।
३. कलियुग की गीता ‘सनातन प्रभात’ !
‘श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को बताई गई भगवद्गीता की भांति ‘सनातन प्रभात’ भी सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा साधकों, राष्ट्रभक्तों तथा धर्मरक्षकों को बताई गई कलियुग की गीता है’, इसका मैं ‘सनातन प्रभात’ के प्रकाशन दिवस से अनुभव कर रहा हूं ।
‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी आरंभ में जिज्ञासुओं एवं साधकों के लिए सत्संग एवं अभ्यासवर्ग लेते थे । समाज के लोगों को इस विषय में जानकारी मिलने हेतु विभिन्न समाचारपत्रों में ‘आज के कार्यक्रम’, ‘संक्षेप में मुंबई’, ‘संक्षेप में महाराष्ट्र’ जैसे स्तंभों में सत्संग एवं अभ्यासवर्ग की जानकारी प्रकाशित होती थी; परंतु उसके लिए मैं विभिन्न समाचारपत्रों के कार्यालयों में जाकर उसकी बहुत समीक्षा करता था, तब जाकर थोडीसी जानकारी प्रकाशित होती थी ।
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने हमें सत्संगों तथा अभ्यासवर्गाें में यह सिखाया था कि हमें जो कुछ ज्ञात होता है, उसे धीरे-धीरे अन्यों को सिखाना चाहिए तथा इस प्रकार से सभी को सिखाकर उन्हें ज्ञानी बनाना चाहिए । उसके अनुसार मैं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के विषय में तथा उनके सिखाए अभ्यासवर्ग में लिए जानेवाले ‘अध्यात्म एवं साधना’ इन विषयों पर छोटे लेख लिखता था तथा मुंबई के समाचार पत्रों के संपादकों के पास जाकर उन्हें प्रकाशित करने का अनुरोध करता था । ऐसे लेख प्रकाशित होना असंभव था; क्योंकि १९९० से १९९५ के समय अधिकांश संपादकों में ‘अध्यात्म एवं साधना’ विषय के पति अस्वीकृति थी ।

इस विषय में मैंने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को मेरी यह समस्या बताई, तब उन्होंने कहा, ‘‘आपने जो लेखन किया है, वह अच्छा है । यदि अन्य समाचार पत्र उसे नहीं छापते, तो हम ही हमारा अपना नियतकालिक चलाएंगे । उसके पश्चात आप जितना चाहिए, उतना लेखन कीजिए ।’’ कोई लडका अपने पिता को बताता है, ‘‘अन्य धनवान लडके के पास जैसे चारपहिया वाहन है, वैसी गाडी मुझे चाहिए ।’ वास्तव में उसके पिता की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं होती; परंतु उनमें सकारात्मकता तथा आत्मविश्वास होता है । उस समय उसके पिता उसे कहेंगे, ‘‘तुम्हारे लिए चारपहिया गाडी खरीदने की अपेक्षा ईश्वर की कृपा से भविष्य में हम गाडी (मोटार) बनानेवाला कारखाना ही चलाएंगे ।’’ उस समय उस लडके को कितना आनंद आया होगा ? उससे कहीं अधिक आनंद मुझे परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ‘‘हम ही अपना दैनिक चलाएंगे’’, इस आश्वासनात्मक वाक्य से हुआ । वह तो साक्षात ईश्वर का दिया हुआ वचन था । उनके इस संकल्प के अनुसार वर्तमान में अनेक भाषाओं में ‘सनातन प्रभात’ के अनेक नियतकालिक प्रकाशित हो रहे हैं ।
‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक प्रकाशित होने से लेकर मुझे सीखने के लिए मिले सूत्र तथा प्राप्त अनुभूतियां आगे दी हैं । ‘वर्तमान में विश्व के किसी भी नियतकालिक में पूर्णत्व है’, ऐसा हम नहीं कह सकते; परंतु ‘आगे दी गुणविशेषताओं के कारण तथा ईश्वर की कृपा से ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक धीरे-धीरे पूर्णत्व की दिशा में अग्रसर हैं’, ऐसा मुझे लगता है ।
मेरी साधनायात्रा में तथा जीवनयात्रा में ‘सनातन प्रभात’ दीपस्तंभ की भांति मेरा मार्गदर्शन कर रहा है, उसके लिए मैं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चरणों में तथा ‘सनातन प्रभात’ से संबंधित सेवा करनेवाले सभी साधकों के प्रति कोटि-कोटि कृतज्ञता व्यक्त करता हूं ।’
– (पू.) शिवाजी वटकर (सनातन के १०२ वें (समष्टि) संत, आयु ७७ वर्ष), सनातन आश्रम, देवद, पनवेल. (१५.२.२०२४)
‘सनातन प्रभात’का स्थूल स्तर का कार्य१. वास्तविकता बताकर वास्तविकता पर प्रकाश डालनेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! २. समाचार एवं लेखन में विद्यमान भाव, विचार एवं दृष्टिकोण को एक निश्चित पद्धति से व्यक्त करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! ३. विश्व में घटित किसी भी प्रसंग में ‘कहां चूक हुई ?, भविष्य में उसके क्या परिणाम होंगे तथा उसपर क्या उपाय होना चाहिए ?’, इसकी शिक्षा देकर सक्रिय विचार करने हेतु प्रेरित करनेवाला ‘सनातन प्रभात’! ४. वर्तमान में घटित हो रहे प्रसंग अथवा कार्यक्रम के परिप्रेक्ष्य में तथा जागृति लाकर ‘इसमें उचित कृति क्या है ?’, यह सुझानेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! ५. मनोरंजन, खेल इत्यादि की अपेक्षा ‘वर्तमान कलियुग में आपातकालीन स्थिति में उत्पन्न होनेवाले प्रसंगों में हम क्या कर सकते हैं ?’, इसका उद्बोधन करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! ६. केवल समाचार छापनेवाला ही नहीं, अपितु समाचार बनानेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! वर्ष २०२३ में गणेशोत्सव के समय में निजी ट्रैवल्स प्रतिष्ठान यात्रियों से सरकार द्वारा निर्धारित बस किराए से अनेक गुना अधिक बस किराया वसूलते थे । उसके विरोध में समाचार प्रकाशित कर ‘सनातन प्रभात’ ने जनजागरण किया था । उसके परिणामस्वरूप सरकार के परिवहन विभाग ने इन निजी ट्रैवल्स प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही की थी । ७. तत्त्वनिष्ठ ‘सनातन प्रभात’ ! कोई भी दैनिक सभी प्रकार के पाठकों को संतुष्ट नहीं कर सकता । स्वयं तत्त्वनिष्ठ रहकर समाज को क्या प्रिय है, इसकी अपेक्षा वर्तमान में समाज को नैतिक, सामाजिक, पारिवारिक तथा राष्ट्र एवं धर्म के स्तर पर क्या आवश्यक है ?’ वही ‘सनातन प्रभात’ देता है । ८. साधकों, संतों, भक्तों, धर्मादाय न्यासियों तथा मंदिरों के न्यासियों को अपना बनानेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! ‘सनातन प्रभात’ की विशेषताएं१. नित्य नूतन ‘सनातन प्रभात’ ! २. पाठकों एवं साधकों के मन से संवाद करनेवाला गुरुरूप ‘सनातन प्रभात’ ! ३. लगन के साथ, निरंतर तथा दृढतापूर्वक जनप्रबोधन करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! ४. छुट्टी अथवा कोई छूट लिए बिना जनप्रबोधन का अनवरत कार्य करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! (नारद मुनि जैसे कार्य करनेवाले संवाददाता एवं संपादक) ५. पैसा, प्रसिद्धि अथवा केवल ‘पाठक संग्रह’ से दूर रहनेवाला ‘सनातन प्रभात’ ! ६. धर्मजागृति, हिन्दू-संगठन एवं राष्ट्ररक्षा हेतु साधना के रूप में आर्थिक हानि सहकर भी चलाया जा रहा एकमात्र ‘सनातन प्रभात’ ! |