हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए मार्गदर्शक ‘सनातन प्रभात’ !

हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ संगठक तथा महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवट को हिन्दुओं का संगठन करते समय विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पडा था । पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ के रजत जयंती महोत्सव विशेषांक के निमित्त से श्री. घनवट को हिन्दू-संगठन का कार्य करते समय ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों के कारण मिली सहायता तथा उन्हें प्राप्त अनुभव यहां दे रहे हैं ।

हिन्दुत्व के आंदोलन का आधिकारिक मंच !

लोकमान्य टिळक के दैनिक ‘केसरी’ की भांति वर्तमान में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में प्रखर जनजागृति करनेवाला यदि कोई नियतकालिक है, तो वह है ‘सनातन प्रभात’ ! स्वतंत्रता के उपरांत के ७६ वर्षाें की अवधि में पत्रकारिता के क्षेत्र में ‘कम्युनिस्टों’ का (साम्यवादियों का) प्रभाव बढने से हिन्दुत्व का आंदोलन, उसके साथ ही हिन्दुत्व पर होनेवाले आघात, इन सभी के लिए कौन कार्य करेगा ? कौन उसकी व्यापक प्रसिद्धि करेगा ?, यह विचार; साथ ही वस्तुनिष्ठ एवं सत्यनिष्ठ जानकारी कौन पहुंचाएगा ? आदि प्रश्न २५ वर्ष पूर्व धर्मनिष्ठ एवं राष्ट्रनिष्ठ नागरिकों के मन में थे । ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों से इसका उत्तर मिला । वर्तमान पीली पत्रकारिता में ‘पेड न्यूज’ के (पैसे लेकर समाचार देने के) काल में हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए तथा हिन्दू राष्ट्र के आंदोलन के लिए एक आधिकारिक मंच है ‘सनातन प्रभात !’ राष्ट्र एवं धर्म के विषय में निष्ठा के विचार, उनपर हो रहे आघातों के विचार, साथ ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में जमीनी स्तर पर अत्यंत लगन के साथ समर्पित होकर अपना-अपना योगदान देनेवाले विभिन्न संगठनों को ‘सनातन प्रभात’ से व्यापक प्रसिद्धि मिलती है ।

श्री. सुनील घनवट

हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए साधना संबंधी मार्गदर्शक ‘सनातन प्रभात’ !

वर्तमान में समाज में विभिन्न साधनामार्ग तथा साधना की विभिन्न पद्धतियां हैं । गुरुकृपायोग के अनुसार साधना कर अध्यात्म में प्रगति कर मोक्षप्राप्ति करने के विषय में ‘सनातन प्रभात’ से अनेक साधकों के अनुभव एवं अनुभूतियां प्रकाशित की जाती हैं । उसी प्रकार साधना कर अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ, पाठक एवं धर्मप्रेमी अध्यात्म में प्रगति कर रहे हैं । वे भी जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हों; इसके लिए ‘सनातन प्रभात’ में किया जानेवाला मार्गदर्शन बहुत अमूल्य सिद्ध हुआ है ।

हलाल अर्थव्यवस्था के विरुद्ध अभियान को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में सहायता

(टिप्पणी : हलाल अर्थात जो इस्लाम के अनुसार वैध है !)

वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हलाल सख्ती विरोधी आंदोलन

‘हलाल अर्थव्यवस्था की भयावहता स्पष्ट करनेवाले लेख ‘सनातन प्रभात’ समूह ने प्रकाशित किए । ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ के संदर्भ में विभिन्न स्थानों पर होनेवाली बैठकें, सरकार की भूमिका, हलाल अर्थव्यवस्था के कारण देश की हुई हानि, साथ ही देश की सुरक्षा के संदर्भ में उत्पन्न समस्याएं, इन सभी सूत्रों की समय-समय पर ‘सनातन प्रभात’ में प्रसिद्धि करने से पिछले ३ वर्षाें में यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा है । इसके परिणामस्वरूप पूरे देश में हलाल का षड्यंत्र उजागर हुआ है ।

महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की परिषदों के समाचारों के कारण मंदिरों के न्यासी जुडें !

ओझर, महाराष्ट्र में मंदिर महासंघ की परिषद का उद्घाटन

वर्ष २०२३ से महाराष्ट्र में ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’के माध्यम से मंदिरों का संगठन, समन्वय, संपर्कव्यवस्था एवं सुव्यवस्थापन के लिए विभिन्न स्थानों पर मंदिर परिषदों का आयोजन किया जा रहा है । ‘सनातन प्रभात’का एक बडा पाठकवर्ग धार्मिक है । ‘सनातन प्रभात’में मंदिर परिषदों के समाचार प्रकाशित होने के कारण अनेक मंदिरों के न्यासी, पुरोहित तथा पुजारियों ने स्वयं चलित भ्रमणभाष कर ‘हम भी इस मंदिर संगठन के कार्य में सम्मिलित हो रहे हैं तथा आप हमारे क्षेत्र में भी मंदिर परिषद का आयोजन कीजिए’, ऐसी मांग की ।

हिन्दुत्वनिष्ठ प्रवक्ताओं के लिए दिशादर्शक !

अनेक बार हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों के संदर्भ में विभिन्न समाचार वाहिनियों पर आयोजित परिचर्चाओं में मेरे साथ सम्मिलित हुए कुछ हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों तथा राजनीतिक दल के प्रवक्ताओं ने बताया, ‘‘परिचर्चा में लिए जानेवाले विषय के संदर्भ में निश्चित रूप से क्या दिशा होनी चाहिए ?’, यह ‘सनातन प्रभात’ पढने से स्पष्ट हुआ ।’’

मंदिर सरकारीकरण के विषय में उचित दृष्टिकोण मिलना !

वर्ष २००८ में तत्कालीन महाराष्ट्र की सरकार राज्य में ४.५ लाख मंदिरों का सरकारीकरण करनेवाली थी । उस समय सामान्यतः समाज का विचार था कि ‘मंदिरों का सरकारीकरण होने के कारण मंदिरों में अनेक सुधार आए हैं, मंदिरों का विकास हुआ है तथा मंदिरों में स्वच्छता होती है ।’ इस अवधि में मंदिरों के सरकारीकरण के कारण हिन्दू धर्म की होनेवाली हानि तथा मंदिर संस्कृति के होनेवाले पतन के विषय में ‘सनातन प्रभात’ से विभिन्न लेख प्रकाशित हुए । देश की सरकारें मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेती हैं; परंतु मदरसों तथा चर्च को हाथ नहीं लगाती; क्योंकि मदरसों एवं मस्जिदों के लिए वक्फ बोर्ड हैे, जबकि चर्च के लिए ‘डायोसेसन सोसाइटी’ है । तो ‘केवल मंदिरों का ही सरकारीकरण क्यों ?’, इस मूलभूत प्रश्न को सरकारों तक पहुंचाने का कार्य ‘सनातन प्रभात’ ने किया ।