भगवान को नमस्कार करने की उचित पद्धति तथा उससे संबंधित शोध

‘देवालय में देवता के दर्शन करते समय हम दोनों हाथ जोडकर भगवान को नमस्कार करते हैं । दोनों हाथों के तलुओं को एक-दूसरे पर रखने से (अर्थात एक-दूसरे को चिपकाकर) जो मुद्रा बनती है, उसे ‘नमस्कार’ कहते हैं ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत ‘हस्त एवं पाद समुद्रशास्त्र’ के संदर्भ के शोध कार्य में सम्मिलित होकर साधना के स्वर्णिम अवसर का लाभ लें !

व्यक्ति की हथेलियों एवं तलवों की रेखाएं, उनका एक-दूसरे से संयोग, चिन्ह, उभार एवं आकार से व्यक्ति का स्वभाव, गुण-दोष, आयुर्दाय (दीर्घायु), भाग्य, प्रारब्ध इत्यादि ज्ञात कर सकते हैं ।

आंतरिक आनंद, संतुष्टि एवं ‘श्रीकृष्ण की सेवा’ भाव से नृत्य करनेवालीं देहली की प्रसिद्ध भरतनाट्यम् नृत्यांगना तथा नृत्यगुरु पद्मश्री श्रीमती गीता चन्द्रन् !

देहली की प्रसिद्ध भरतनाट्यम् नृत्यांगना एवं कर्नाटक शैली की गायिका पद्मश्री श्रीमती गीता चन्द्रन् से भेंट की । इस भेंट में श्रीमती गीता चन्द्रन् द्वारा वर्णित उनकी नृत्यसाधना की यात्रा यहां दी गई है ।

भावविभोर होकर नृत्य करनेवालीं तथा नृत्यकला से दैवी आनंद का अनुभव करनेवालीं देहली की कत्थक नृत्यांगना श्रीमती शोभना नारायण !

‘४०-५० वर्षाें से अधिक संगीत के लिए समर्पित इन कलाकारों की ‘संगीत साधना’ अगली पीढी के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो’, इस उद्देश्य से महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से इन कलाकारों के साथ संवाद किया गया ।

व्यक्ति जो आहार ग्रहण करता है, उसका व्यक्ति पर आध्यात्मिक स्तर पर होनेवाला परिणाम

पहले प्रयोग में व्यक्ति को उपाहार गृह में बनाए गए शाकाहारी (मिक्स वेज) एवं मांसाहारी (फिशफ्राई एवं चिकनफ्राई) पदार्थ खाने के लिए दिए गए । दूसरे प्रयोग में उसे सात्त्विक स्थान पर (सनातन के आश्रम में) बनाई गई सब्जी खाने के लिए दी गई ।

देहली के भारत सरकार के ‘कथक केंद्र’ में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा संगीत शोध का प्रस्तुतीकरण !

कथक केंद्र की कथक गुरु श्रीमती मालती श्याम, गायन गुरु श्री. ब्रिजेश मिश्रा एवं कु. तेजल पात्रीकर के हस्तों दीपप्रज्वलन किया गया । इस कार्यक्रम में इस कथक केंद्र में गायन, वादन एवं नृत्य सीखनेवाले छात्र तथा उन्हें शिक्षा देनेवाले कुछ गुरुजन उपस्थित थे ।

वास्तु के अलग-अलग स्थानों में विचरण करते समय वहां कार्यरत स्पंदनों का व्यक्ति पर (उसकी सूक्ष्म ऊर्जा पर) परिणाम

वास्तु में विद्यमान स्पंदनों का प्रभाव व्यक्ति का मन, बुद्धि एवं शरीर पर पडता है । उसके कारण वास्तुशास्त्र के नियमों को ध्यान में लेकर घर का निर्माण करने से मनुष्य को अच्छा स्वास्थ्य, सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी द्वारा लिखित तथा आध्यात्मिक शोध पर आधारित शोधनिबंध का अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में प्रस्तुतीकरण !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा फ्रांस में आयोजित २४ अक्टूबर २०२२ को ‘इंटरनेशनल समिट ऑन फैशन, ब्यूटी एंड कॉस्मेटोलॉजी एक्सपो’ परिषद में ‘आभूषण व्यक्ति के प्रभामंडल पर कैसे परिणाम करते हैं ?’ इस शोधनिबंध का ‘ऑनलाइन’ प्रस्तुतीकरण किया गया ।

स्त्री ने स्वयं में सकारात्मकता बढाई, तो उससे उसके घर के सदस्यों सहित समाज भी संस्कारशील बन सकता है ! – सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय

‘‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में महिलाओं एवं पुरुषों को ३०-३० मिनट ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ नामजप करने के लिए कहा गया । उस समय नामजप करने से पूर्व तथा करने के उपरांत ‘यू.ए.एस.’ (यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ के द्वारा उनका सकारात्मक प्रभामंडल नापा गया ।

मथुरा में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से शिक्षकों के लिए ‘तनावमुक्त जीवन के लिए अध्यात्म’ विषय पर मार्गदर्शन

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा यहां के राधा माधव इंटर महाविद्यालय में शिक्षकों के लिए ‘तनावमुक्त जीवन के लिए अध्यात्म’ विषय पर मार्गदर्शन का आयोजन किया गया था ।