प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं. निषाद बाकरे द्वारा प्रस्तुत किए गए ‘भूप’ राग के गायन का संतों, साथ ही आध्यात्मिक कष्ट से ग्रस्त तथा कष्टरहित साधकों पर हुआ परिणाम
इस प्रयोग के समय पं. बाक्रे को तबले पर गोवा के प्रसिद्ध तबलावादक डॉ. उदय कुलकर्णी तथा संवादिनी पर (हार्माेनियम पर) श्री. दत्तराज म्हाळशी ने संगत की ।