प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं. निषाद बाकरे द्वारा प्रस्तुत किए गए ‘भूप’ राग के गायन का संतों, साथ ही आध्यात्मिक कष्ट से ग्रस्त तथा कष्टरहित साधकों पर हुआ परिणाम

इस प्रयोग के समय पं. बाक्रे को तबले पर गोवा के प्रसिद्ध तबलावादक डॉ. उदय कुलकर्णी तथा संवादिनी पर (हार्माेनियम पर) श्री. दत्तराज म्हाळशी ने संगत की ।

दैवी बालक मानवजाति को सुराज्य की ओर ले जाएंगे ! – श्रीमती श्वेता क्लार्क, गोवा

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय को श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में ‘सर्वोत्कृष्ट’ पुरस्कार प्रदान ! शोधनिबंध के लेखक महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी एवं सहलेखक – श्री. शॉन क्लार्क व श्रीमती श्वेता क्लार्क !

मिलिंद चवंडके लिखित ‘श्रीकानिफनाथमाहात्म्य’ इस ग्रंथ को श्रद्धालुओं से मिला अभूतपूर्व प्रतिसाद !

‘श्रीकानिफनाथमाहात्म्य’ मराठी भाषा में काव्यबद्ध ग्रंथ का हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड एवं तेलगु भाषाओं में अनुवाद होने पर सर्व प्रांतों में श्रद्धालुओं को इस ग्रंथ का लाभ मिलेगा । उनका दैनंदिन जीवन सहज-सुलभ होने में बडी सहायता होगी, ऐसा श्रद्धालुओं का कहना है ।

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी के ८० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में संतों से मिली शुभकामनाएं !

महर्षि अध्यात्म विश्विद्यालय की स्थापना कर उन्होंने (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने) हिन्दू राष्ट्र की बात को केवल राजकीय रूप न देते हुए हमारी अध्यात्म विद्या को पुनः उजागर करने का और उसके भीतर अनेक प्रयोग कर, अनेक साधकों को तैयार करने का एक महनीय कार्य किया है ।

साधकजीवों को भक्तिरस में सराबोर करनेवाले श्रीमन्नारायण स्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का दिव्य आनंददायी ‘रथोत्सव’ !

रथोत्सव में सम्मिलित साधकों के मुख पर भाव एवं आनंद, उन्होंने धारण की हुई सात्त्विक एवं पारंपरिक वेशभूषा, हाथ में लिया भगवा ध्वज, ध्यान आकर्षित करनेवाले फलक, श्रीराम शालीग्राम की पालकी एवं सभी के मुख में श्रीमन्नारायण का जयघोष, ऐसे भक्तिमय वातावरण में इस रथोत्सव का प्रारंभ हुआ । 

भारतीय संस्कृति का महत्त्व विद्यार्थियों पर अंकित करने हेतु महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा प्रयागराज में पाठ्यक्रम का आरंभ !

महान हिन्दू संस्कृति के विषय में तथा ‘नामजप करने से मन की एकाग्रता बढकर पढाई मैं कैसे लाभ होता है’, इसकी जानकारी दी गई । सभी शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने इसकी बहुत सराहना की तथा इस प्रकार के वर्ग प्रतिदिन लिए जाने की इच्छा भी व्यक्त की ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत कार्यान्वित होनेवाले ग्रंथालय से संबंधित सेवा में सम्मिलित हों !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के ग्रंथभंडार में ३५ सहस्र से अधिक मुद्रित ग्रंथ और १ लाख से अधिक ‘ई-बुक्स’ हैं तथा उसमें प्रतिदिन अनेक ग्रंथों की वृद्धि हो रही है । इसलिए इन ग्रंथों से संबंधित आगे की सेवा करने के लिए रामनाथी, गोवा के आश्रम में मानव संसाधन की आवश्यकता है ।

शोध के माध्यम से संपूर्ण मानवजाति को अनमोल धरोहर उपलब्ध करानेवाले ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ को चित्रीकरण हेतु उपयुक्त सामग्री की आवश्यकता !

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ वैज्ञानिक परिभाषा में आध्यात्मिक शोध करने हेतु अद्वितीय कार्य करनेवाली संस्था है । इस विश्वविद्यालय के कुछ साधक संतों के मार्गदर्शन में विविध स्थानों पर यात्रा कर भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर संग्रहित कर रहे हैं ।

साधना करने के कारण दिव्य कार्य होने से स्वयं के साथ समाज को भी साधना के लिए प्रवृत्त करना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

सनातन संस्था प्रभावशाली पद्धति से अध्यात्मप्रसार का कार्य कर रही है, साथ ही एस.एस.आर.एफ. द्वारा किया जा रहा शोधनिबंध तैयार करने का कार्य देखकर ऐसा लगता है कि समाज निश्चित रूप से धर्माचरण करने के लिए प्रेरित होगा ।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सात्त्विक वातावरण में ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्ष का स्वागत करना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक !

‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ और सूक्ष्म चित्रों के माध्यम से किए अध्ययन तथा सम्मिलित साधकों के व्यक्तिगत अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय पद्धति से ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्षारंभ मनाना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है तथा पश्चिमी पद्धति से नववर्षारंभ मनाना हानिकारक है ।