स्त्री ने स्वयं में सकारात्मकता बढाई, तो उससे उसके घर के सदस्यों सहित समाज भी संस्कारशील बन सकता है ! – सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय

ऋषिकेश (उत्तराखंड) – ‘‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में महिलाओं एवं पुरुषों को ३०-३० मिनट ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ नामजप करने के लिए कहा गया । उस समय नामजप करने से पूर्व तथा करने के उपरांत ‘यू.ए.एस.’ (यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ के द्वारा उनका सकारात्मक प्रभामंडल नापा गया । उस समय महिलाओं तथा पुरुषों के सकारात्मक प्रभामंडल में लगभग समान रूप से वृद्धि दिखाई दी । इससे यह ध्यान में आता है कि महिलाओं का आध्यात्मिक विकास साधना करने से ही हो सकता है । स्त्री घर का केंद्रबिंदु होती है; इसलिए स्त्री ने छोटे-छोटे आचारधर्म का महत्त्व ध्यान में लेकर उसके अनुरूप आचरण कर स्वयं में सकारात्मकता बढाई, तो वह घर के सदस्यों को भी ये संस्कार दे सकती है । ऐसा हुआ, तो उससे समाज संस्कारशील बन सकता है । इसलिए स्त्री को साधना का महत्त्व समझ लेना चाहिए ।’’ महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ६२ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर ने ऐसा प्रतिपादित किया । ऋषिकेश के ‘परमार्थ निकेतन’ में ‘नारी संसद’ संपन्न हुई । उसमें सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर ‘आध्यात्मिक विकास तथा नेतृत्व करने में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर ऐसा बोले रहे थे । इस समय ३५० लोग उपस्थित थे ।

१. इस कार्यक्रम में संपूर्ण भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करनेवाली १७ राज्यों की २०० उच्चशिक्षित महिलाएं सम्मिलित हुईं । इस कार्यक्रम में सम्मिलित महिलाओं ने ‘नारी-घर में तथा घर से बाहर’ विषय के परिप्रेक्ष्य में अपने विषय रखे ।

२. इस अवसर पर राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान को महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की जानकारी पत्रिका दी गई ।

३. ‘भारत गौरव’ नामक मासिक प्रकाशित किया गया था । उसमें ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के ‘मेकअप (सौंदर्यप्रसाधन)’ के विषय का शोधकार्य से संबंधित लेख प्रकाशित किया गया है ।