हिन्दुओ, राष्ट्र एवं धर्म हानि रोकने हेतु जागृत हों !
गुण्डे, बलात्कारी, धर्मांध आदि से अपनी और बहू-बेटियों की, तथा राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा करने हेतु ‘स्वरक्षा प्रशिक्षण’ सीखना आवश्यक है ।
गुण्डे, बलात्कारी, धर्मांध आदि से अपनी और बहू-बेटियों की, तथा राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा करने हेतु ‘स्वरक्षा प्रशिक्षण’ सीखना आवश्यक है ।
स्वयं ग्रंथ खरीदने के साथ ही मित्र-परिवार और अन्य परिचितों को भी ग्रंथ खरीदने के साथ ही उसका प्रचार करने के लिए प्रेरित करें !
एक ही समय में १० अथवा उससे अधिक ग्रंथ खरीदनेवाले ऐसे जिज्ञासुओं की अलग सूची जिले में बनाएं । साथ ही जब सनातन का कोई नूतन ग्रंथ प्रकाशित हो, तब उन्हें संपर्क कर वह नूतन ग्रंथ दिखाने की व्यवस्था करें ।
आधुनिक शिक्षा प्रत्यक्ष ज्ञान और परोक्ष ज्ञान पर ही आधारित होकर अपने ज्ञान को सीमित कर लेती है । अंतःकरण की वृत्तियां भी ज्ञान का प्रतिपादक होती हैं । ज्ञान, चार प्रकार का होता है – प्रत्यक्ष परोक्ष, अपरोक्ष और साक्षात अपरोक्ष ।
श्रीमद्गवद्गीता, महाभारत आदि धर्मग्रंथ ईश्वरीय वाणी द्वारा साकार हुए हैं; इसलिए उनमें चैतन्य है, उसी प्रकार सनातन के ग्रंथ भी ईश्वरीय संकल्प द्वारा साकार हुए हैं । वेदों के समान महतीवाले ये ग्रंथ स्वयंभू चैतन्य के स्रोत हैं ।
कोजागरी पूर्णिमा का उत्सव आश्विन पूर्णिमा की तिथि को मनाया जाता है । श्रीमद्भागवत के कथनानुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने व्रजमंडल में रासोत्सव मनाया था ।
हिन्दू संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है । करवा चौथ पति एवं पत्नी दोनों के लिए नवप्रणय निवेदन तथा एक-दूसरे के लिए अपार प्रेम, त्याग, एवं उत्सर्ग की चेतना लेकर आता है ।
हिन्दू नारियो, भारत पर धर्मप्रेमियों एवं राष्ट्रप्रेमियों का राज्य होने पर हमारा देवधर्म, संस्कृति, इतिहास, भाषा, अस्मिता, आबालवृद्ध और स्त्रियों का रक्षण एवं पालन होगा, यह परम सत्य समझ लें ।
महाविद्यालयों और गृहनिर्माण संस्थाओं में महिलाओं का संगठन बनाकर किसी महिला पर अत्याचार होने पर उसके विरुद्ध संगठित रूप से कार्यवाही करें !
दुर्बल व्यक्ति की सर्वत्र निंदा की जाती है, इसे ध्यान में लेकर स्वयं के शरीर और मन को प्रतिकारक्षम बनाएं !