कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को श्रीकृष्ण के रूप में, तथा वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कंस के रूप में दिखाया !

दूसरी घटना में, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव को सुदर्शन चक्र धारण करने वाले भगवान श्रीकृष्ण के रूप में दर्शाया गया है । यह चित्र लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजप्रताप यादव ने फेसबुक पर प्रसारित किया है ।

देश में हिन्दू अल्पसंख्यक बन गए, तो भारत का अफगानिस्तान बन जाएगा ! – भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवी

देश में हिन्दुओं के अल्पसंख्यक बनने से पूर्व भाजपा सरकार को भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देश में समान नागरिकता कानून, जनसंख्या नियंत्रण कानून, धर्मांतरणविरोधी कानून आदि राष्ट्रहित के कानून बनाने चाहिएं, ऐसा ही हिन्दुओं को लगता है !

जिहादी आतंकवादी संगठन ‘तालिबान’ का इतिहास

तालिबान एक सुन्नी इस्लामी आंदोलन था । उसका आरंभ वर्ष १९९४ में दक्षिण अफगानिस्तान में हुआ । मूल अरबी शब्द ‘तालिब’ से ‘तालिबान’ शब्द बना है । ‘तालिब’ का अर्थ है ‘ज्ञान प्राप्त करने की अपेक्षा और इस्लामी कट्टरतावाद पर विश्वास रखनेवाला विद्यार्थी ।’

सनातन के आश्रम और सेवाकेंद्र में रहनेवाले साधकों को आपातकाल में तत्काल चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध होने हेतु ३ एंबुलेंस की आवश्यकता !

गंभीर स्थिति के रुग्ण को चिकित्सालय में ले जाना अथवा अधिक कुशलता के चिकित्सकीय उपचार हेतु अन्यत्र स्थलांरित करना, इन कार्याें के लिए रुग्णवाहिका तत्काल और सहज उपलब्ध होना अनिवार्य है ।

दूरदर्शन (टीवी) पर प्रसारित धार्मिक धारावाहिक ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण की भूमिका करनेवाले एक सुप्रसिद्ध अभिनेता से ‘एसएसआरएफ’ के साधकों का हुआ भावपूर्ण संवाद !

मैं दूरदर्शन (टीवी) पर प्रसारित विविध धारावाहिकों में अभिनय करता हूं, इसलिए मुझे विभिन्न कार्यक्रम और आयोजनों में निमंत्रित किया जाता है । मुझे वहां नृत्य करने के लिए कहा जाता है; परंतु मुझे वहां आनंद नहीं मिलता और बहुत बोरियत होती है ।

विश्वयुद्ध, भूकंप आदि आपदाओं का प्रत्यक्ष सामना कैसे करें ?

भूकंप कब, कहां और कितनी क्षमता का होगा, इसका पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं । इसलिए यदि हमने सदैव सतर्कता, समयसूचकता और धैर्य रखा, तो जन-धन की हानि टलेगी अथवा अल्प हो सकती है ।

सर्वाेत्तम शिक्षा क्या है ?

भौतिक साधनसुविधा अखंड सुख न देते हुए क्षणभंगुर सुख देती हैं और अपनी स्वाभाविक इच्छा ‘अखंड सुख (आनंद) मिले’, होने से भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से बारंबार आनेवाला सुख भी अंत में दुःखरूप ही होता है ।

मृत्युपरान्त धार्मिक विधियोंका अध्यात्मशास्त्र समझ लें !

श्राद्धविधिसे पितृऋणसे कैसे मुक्त होते हैं ? श्राद्धमें जनेऊ दाहिने कंधेपर क्यों लें ?

पितृपक्ष में श्राद्ध !

हिन्दू धर्मशास्त्र में बताए गए ईश्वरप्राप्ति के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है ‘देवऋण, ऋषिऋण, पितृऋण एवं समाजऋण, ये चार ऋण चुकाना’ । इनमें से पितृऋण चुकाने हेतु ‘श्राद्ध’ करना आवश्यक है ।

हिन्दू धर्म में छोटे बच्चों का श्राद्धकर्म न करने के कारण

छोटे बच्चों की मृत्यु के पश्चात उनके श्राद्धकर्म के समय पिंडदान के पश्चात उन्हें केवल मंत्रपूर्वक अन्न का निवाला ही दिया जाता है, जिसे ‘प्रकीर’ कहा जाता है । इस जन्म में ऐसे छोटे जीव के मन पर किसी भी प्रकार के संस्कार न होने से ईश्वर द्वारा उस जीव के लिए यह व्यवस्था की गई है ।