पिछले अनेक वर्षाें से सनातन संस्था बता रही है कि आपातकाल अब देहरी (दहलीज) तक पहुंच गया है और वह कभी भी भीतर प्रवेश कर सकता है । पिछले वर्ष से चल रहा कोरोना महामारी का संकट आपातकाल की ही एक छोटी-सी झलक है । प्रत्यक्ष आपातकाल इससे अनेक गुना भयानक और क्रूर होगा, उसके विविध रूप होंगे । इसमें मानव-निर्मित तथा प्राकृतिक आपदाएं होंगी । इनमें से कुछ प्रसंगों की जानकारी हम इस लेखमाला में देखेंगे । इस आपातकाल में अपनी तथा परिवार की रक्षा करने हेतु हम क्या कर सकते हैं, इसकी थोडी-बहुत जानकारी इस लेखमाला में देने का प्रयास किया है । पाठकों को इसका लाभ हो, यही इस लेखमाला का उद्देश्य है । इस लेख में भूकंप के विषय में जानकारी दी गई है । भूकंप आने से पहले की जानेवाली कुछ तैयारियां, प्रत्यक्ष भूकंप आए तो क्या करना है और भूकंप होने पर क्या करें, इसकी जानकारी दी गई है । (भाग ४)
३. भूकंप
३ अ. भूकंप के सामान्य लक्षण
भूकंप होते समय नीचे दिए गए लक्षणों में से एक अथवा अधिक लक्षण अनुभव होते हैं ।
१. भूमि से गुरगुर की आवाज आती है ।
२. घर में रखे बर्तन हिलते हैं ।
३. दीवार चटकने से उसकी पपडियां नीचे गिरती हैं ।
४. दीवारों की छतें टूटती हैं और दुर्बल घर और दीवारें ढह जाती हैं ।
५. भूपृष्ठ पर भौगोलिक परिवर्तन होते हैं । भूकंप के कारण भूपृष्ठ का भाग आगे-पीछे अथवा ऊपर-नीचे होता है ।
६. सडकों में दरारें पडती हैं और नदी के किनारे और पुल टूट जाते हैं ।
७. रेलगाडी की पटरियां मुड जाती हैं अथवा आडी-तिरछी हो जाती हैं ।
८. बांध की भारी-भक्कम दीवारों में दरारें पड जाती हैं ।
९. समुद्री भूकंप के कारण ‘सुनामी लहरें’ निर्माण होती हैं । ये सैकडों फुट ऊंची लहरें समुद्रकिनारे हाहाकार मचा देती हैं ।
३ आ. भूकंप के पहले ही उससे रक्षा होने हेतु आवश्यक तैयारी
३ आ १. सतर्क, समयसूचकता और धैर्य रखने का महत्त्व : भूकंप कब, कहां और कितनी क्षमता का होगा, इसका पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं । इसलिए यदि हमने सदैव सतर्कता, समयसूचकता और धैर्य रखा, तो जन-धन की हानि टलेगी अथवा अल्प हो सकती है । इसलिए लोगों को भूकंप अथवा किसी भी प्राकृतिक आपदा के विषय में वैज्ञानिक दृष्टि से जागृत करना, यह प्रत्येक का कर्तव्य है । भूकंप में गिरने-पडने से डर और भगदड के कारण ही मुख्यत: लोगों की मृत्यु होती है ।
३ आ २. भूकंप की तीव्रता समझने के लिए घर में छोटा घंटा लटकाकर रखें । भूकंप होते समय इस घंटे का कंपन अधिक मात्रा में होने पर ध्यान में आता है कि भूकंप की तीव्रता अधिक है ।
३ आ ३. भूकंप के समय छिपने के लिए सुरक्षित स्थान ढूंढकर रखें : इस समय घर के कोने, मोटी टेबल के नीचे, बेंच के नीचे जैसे स्थान सुरक्षित होते हैं । इसके साथ ही धोखादायक स्थान भी देखकर रखें और भूकंप के समय उनसे दूर रहें ।
३ आ ४. ऊंचाई पर और भारी सामान के विषय में यह करें ! : घर में भारी सामान ऊंचाई पर न रखें; इसलिए कि वह हम पर गिर सकता है । भूकंप के समय दीवार पर लगी खुली अलमारी (रैक) पर रखा सामान, अलमारी अथवा अन्य फर्नीचर के गिरने की संभावना होने से उन्हें दीवार पर कीलें ठोककर जकडकर रखें ।
३ आ ५. कांच की वस्तुएं तालाबंद अलमारी में रखें ! : भारी वस्तुएं अथवा नाजुक और मूल्यवान वस्तु कम ऊंचाई पर रखें । कांच की अथवा फूट सकती हैं ऐसी वस्तुएं ताला लगाकर कांचयुक्त अलमारी, दर्पण, तस्वीरें आदि में यथासंभव न रखें अथवा नीचे रखें ।
३ आ ६. छत से टंगी वस्तुएं, उदा. झूमर आदि नीचे न गिरे; इसलिए अधिक कसकर अटकाएं या संभव हो तो उसे निकालकर रखें ।
३ आ ७. छत में छोटी-बडी दरारें पडने पर उसे तत्परता से भरवा दें ।
३ आ ८. भूकंप के उपरांत गैस सिलेंडर के नली (पाइप) टूटकर आग लगने की संभावना होने से पहले ही न टूटनेवाले नली (पाइप) लगवा लें ।
३ इ. भूकंप के समय यह करें !
३ इ १. भूकंप के समय इमारत बहुत हिलती है, इसलिए उससे बाहर निकलने पर खतरा हो सकता है । इसलिए मोटी टेबल के नीचे छिपें अथवा वैसा संभव न हो, तो अपनी गर्दन और सिर अपने हाथों से ढककर अपनी रक्षा करें ।
३ इ २. इमारत से बिना हडबडी किए बाहर निकलें : यदि घर, कार्यालय अथवा किसी इमारत में हों, तो बिना हडबडी किए तुरंत बाहर निकलें । ऐसे में उद्वाहन का (लिफ्ट का) उपयोग न करें ।
३ इ ३. सुरक्षित स्थान पर रुकें : अधिक तीव्रता का भूकंप हो, तब घर अथवा कार्यालय में हों तो वहीं रुकें । पहले चुने गए सुरक्षित स्थानों पर जाकर रुकें । बडे पटल के नीचे छिपें । सिर की रक्षा करने के लिए तकिए का उपयोग कर सकते हैं । खिडकी, दरवाजे के निकट रहना टालें ।
३ इ ४. सर्व विद्युत प्रवाह तुरंत बंद करें । गैस सिलेंडर, स्टोव आदि बंद करें ।
३ इ ५. इमारत के बाहर अथवा खुली जगह पर हों, तो वहीं रुकें । इमारत, वृक्ष, सडकों के दीप (लाइटें), बिजली के तारों से दूर रहें ।
३ इ ६. भूकंप के समय वाहन में हों, तो खुली और सुरक्षित स्थान पर वाहन रोकें और वाहन में ही रहें ।
३ इ ७. समुद्रकिनारे अथवा नदी के निकट हों, तो किसी ऊंची जगह पर जाकर वहीं रुकें ।
३ इ ८. यदि पहाड पर अथवा उतार पर होें, तो फिसलनेवाले पत्थर, भारी शिलाएं आदि से स्वयं को सुरक्षित रखें ।
३ ई. भूकंप हो जाने के उपरांत की स्थिति : यहां-वहां इमारतें गिरी होती हैं । घायल अवस्था में सभी लोग सहायता हेतु यहां-वहां भागते हैं । सर्वत्र धूल के बादल फैले होते हैं । अनेक लोग मलबे (ईंट, पत्थर और मिट्टी के ढेर) के नीचे गड गए होते हैं, तो सहस्रों लोगों की मृत्यु हो चुकी होती है । जो कोई आधी गिरी हुई इमारतों में अटके होते हैं, उनका मनोधैर्य टूट चुका होता है । घायल और जीवित लोग सहायता के लिए दूरभाष करने का प्रयत्न करते हैं; परंतु कुछ भाग में दूरभाष और चल-दूरभाष भी बंद हो जाते हैं । बिजली चली जाती है और रास्ते भी बंद होने से रुग्णवाहिका, अग्निशमन दल, सेवाभावी संस्थाओं के वाहन समय पर नहीं पहुंच पाते ।
३ उ. भूकंप हो जाने के उपरांत यह करें !
३ उ १. भूकंप के उपरांत प्रथम यह देखें कि स्वयं को कोई चोट तो नहीं लगी । यह देखकर आवश्यकता के अनुसार प्राथमिक उपचार करें अथवा करवाएं ।
३ उ २. इमारत असुरक्षित हो तो बाहर निकलें : घर और इमारत को ठीक से देखें । उनकी स्थिति अच्छी न होने पर और उनके असुरक्षित होने पर घर से और इमारत से प्रत्येक को बाहर निकालें; क्योंकि बडे भूकंप के उपरांत छोटे-छोटे धक्के पुन:-पुन: होने लगते हैं । इससे घर और इमारत की हानि हो सकती है ।
३ उ ३. भूकंप का सामना करने की तैयारी हेतु जो संच (‘इमरजेन्सी किट’) बनाया है, उसमें टॉर्च अवश्य रखें । इसलिए जब बिजली नहीं होगी, तो संच की वस्तुएं अथवा अन्य आवश्यक वस्तुएं हम तुरंत ढूंढ सकते हैं ।
३ उ ४. गैस का रिसाव, ज्वलनशील पदार्थ तो नहीं गिरे ? इसकी निश्चिति करें ! : अपने रसोईघर में गैस का रिसाव हुआ है क्या ? यह देखें । इसके साथ ही रसोईघर में अथवा अन्यत्र मिट्टी का तेल (केरोसीन), मीठे तेल जैसे ज्वलनशील पदार्थ गिरे तो नहीं, इसकी निश्चिति करें । उसे देखे बिना बिजली के बटन, दियासलाई (माचिस), लायटर और गैस चूल्हा न जलाएं ।
३ उ ५. पैर में चप्पलें और सिर पर शिरस्त्राण (हेलमेट) लगाएं ! : यदि संभव हो तो पैरों में चप्पल अथवा जूते पहनें; इसलिए कि बिना चप्पल पहने घूमने से भूकंप के कारण फैले कांच के टुकडे, टिन इत्यादि वस्तुएं पैरों में लगकर घाव हो सकता है । संभव हो, तो सिर पर शिरस्त्राण (हेलमेट) का उपयोग करें ।
३ उ ६. शौचालय में जाने से पूर्व मलनिःसारण वाहिनियां अच्छी स्थिति में हैं न ? यह पहले देखें ।
३ उ ७. पालतु प्राणियों को सुरक्षित स्थान पर बांधकर रखें ! : घर के पालतू प्राणी कुत्ता, बिल्ली अस्वस्थ होकर चिल्लाने लगते हैं । ऐसे समय पर उन्हें सुरक्षित स्थान पर बांधकर रखें । अन्यथा ये प्राणी यहां-वहां भाग सकते हैं और इस परिस्थिति में गुम भी हो सकते हैं ।
३ उ ८. बिजली न हो तो बैटरी पर चलनेवाले रेडियो द्वारा सूचना सुनें ! : भूकंप के उपरांत गई बिजली को पुन: पूर्ववत होने में बहुत समय जा सकता है । ऐसे में घर में बैटरी पर चलनेवाला रेडियो बहुत उपयोगी होता है । हमें रेडियो से समय-समय पर दिए जानेवाले समाचार एवं सूचनाएं ज्ञात होती हैं ।
३ उ ९. आवश्यकता न हो, तो अपने वाहन रास्ते पर न लाएं । भूकंप प्रभावित क्षेत्र में बचाव और सहायता कार्य के लिए एवं यातायात का नियमन हो, इसलिए रास्तों की आवश्यकता होती है ।
३ उ १०. प्रशासन व्यवस्था की सहायता करें : हमारे आसपास की इमारतें गिरने के कारण बहुत से लोगों की मृत्यु हो जाती है । मुख्यत: कुछ लोगों के मृतदेह मलबे के ढेर में कुचल जाने से पहचानने की स्थिति में नहीं होते । ऐसी स्थिति में उनके परिजनों की मानसिक स्थिति अत्यधिक संवेदनशील होती है । इसलिए हमें मृतकों की पहचान करने के कार्य में स्वयंसेवक, पुलिस, अग्निशमन दल के कर्मचारियों की सहायता करनी चाहिए ।
३ उ ११. गिरी हुई इमारतों में संभवतः कोई भी प्रवेश न करे ।
३ उ १२. मलबे के ढेर में फंसने पर यह करें : यदि आप मलबे के ढेर के कारण फंस गए हैं, तो माचिस का उपयोग न करें । इमारत ध्वस्त होने के कारण आसपास गैस फैली हो सकती है । ऐसी स्थिति में माचिस जलाने पर आग लगकर दुर्घटना हो सकती है । संभव हो, तो कपडे से अपना मुंह ढंककर रखें । सहायता के लिए पाइप अथवा दीवार को ठोंककर आवाज करें, सीटी बजाएं, केवल अंतिम विकल्प के रूप में चिल्लाएं । ऐसा करने से आपकी ऊर्जा बचेगी ।
३ उ १३. समुद्र किनारे से दूर रहें । भूकंप के उपरांत सुनामी आ सकती है ।
३ उ १४. यदि आपको मकान खाली करना पडे, तो आप कहां है ?, यह बतानेवाला संदेश छोडकर जाएं ।
३ उ १५. संभवतः पुल / उडान पुल पार करने का प्रयास न करें । संभवत: वह भी क्षतिग्रस्त हो सकता है ।