बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों का टीकाकरण होता है; फिर विस्थापित हिन्दुओं का क्यों नहीं ? – जय आहुजा, ‘निमित्तेकम्’, राजस्थान

जोधपुर (राजस्थान) में कांग्रेस के २ अल्पसंख्यक विधायक हैं । उन्होंने संगठित होकर उनके मतदार संघ में विशेष कोविड केंद्र खोला एवं वहां आनेवालों को कोरोना के लिए टीका लगाना अनिवार्य किया ।

ट्विटर और गूगल ने भारत के मानचित्र से जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हटाया !

नई देहली – ट्विटर के उपरांत अब गूगल ने भारत के मानचित्र से जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को हटाया । ‘गूगल ट्रेंड्स’ के जालस्थल पर यह मानचित्र दिखाया गया ।

मेरठ (उत्तर प्रदेश) में एक साधु की पत्थरों से मारकर हत्या

मेरठ (उत्तर प्रदेश) – यहां के बढला गांव में साधु चंद्रपाल की पत्थरों से मार कर हत्या कर दी गई । उत्तर प्रदेश में निरंतर साधु, महंत आदि की हत्या की अनेक घटनाएं हुई हैं ।

भारत के शासनकर्ताओं ने वेदादि शास्त्रमान्य दर्शनविज्ञान को पृथ्वी पर लागू करने का व्रत लिया, तो उससे कोरोना महामारी समाप्त होगी ! – पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

देश में बीमारी नहीं है, अपितु यह उन्माद की पराकाष्ठा है । अतः भारत के शासनकर्ता यह घोषणा करें, ‘प्रकृति ने हमें पाठ पढाकर जो संकेत दिया है, वह हमारी समझ में आ गया है ।’

आसमानी जिहाद !

कश्मीर में जिहादी आतंकवादियों का विनाश किया जा रहा है, ऐसा कहा जाता है । प्रतिवर्ष २०० आतंकवादी मारे जाते हैं ।

कोलकाता उच्च न्यायालय और समयसीमा में आरोपपत्र प्रविष्ट करने में ढिलाई !

पुलिस बंदीगृह में होनेवाला शोषण गंभीर है । ऐसे में पुलिस की कार्यपद्धति के विषय में आपत्ति दर्ज करने और उनके शोषण पर कार्यवाही करने हेतु एक स्वतंत्र व्यवस्था हो, इस उद्देश्य से ‘पुलिस शिकायत प्राधिकरण’ स्थापित करे, न्यायालय ने ऐसा आदेश दिया ।

सनातन की सर्वांगस्पर्शी ५ सहस्र ग्रंथसंपदा सभी भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में प्रकाशित हो, इस हेतु ग्रंथ-निर्मिति की व्यापक सेवा में सम्मिलित हों !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलन किए जा रहे ग्रंथों में से मई २०२१ तक ३३८ से अधिक ग्रंथ एवं लघुग्रंथों की निर्मिति हो चुकी है तथा अन्य लगभग ५ सहस्र से भी अधिक ग्रंथों की निर्मिति की प्रक्रिया और अधिक गति से होने हेतु अनेक लोगों की सहायता की आवश्यकता है ।

चातुर्मास का महत्त्व

स्वास्थ्य बनाए रखने, साधना करने तथा वातावरण को सात्त्विक बनाए रखने हेतु धर्मशास्त्र में बताए नियमों का पालन सर्वथा उचित है । मानवजीवन से संबंधित इतना गहन अध्ययन केवल हिन्दू धर्म में ही किया गया है । यही इसकी महानता है ।

भक्त, संत और ईश्वरमें भेद !

मनुष्य ईश्वरका कितना भी अनन्य भक्त हो, वह ईश्वर नहीं बन सकता; वह स्थूल और सूक्ष्म देहमें रहनेतक ईश्वर का अंश ही रहता है ।