सनातन की ग्रंथमाला ‘भावजागृति हेतु साधना’

बालभाव में साधक का भाव बालक की भांति निर्मल होता है । विविध कृत्य करते समय ‘स्वयं छोटी बच्ची हूं और मेरे साथ श्रीकृष्ण हैं’, ऐसा साधिका का भाव इस ग्रंथमें दिए इन चित्रोंसे प्रतीत होता है ।

‘आपातकाल से पूर्व ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार हो’, इस कार्य में लगन से सम्मिलित होनेवालों पर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की अपार कृपा होगी !

ग्रंथकार्य में सम्मिलित होने की इच्छा रखनेवाले, ग्रंथनिर्माण की सेवा करनेवाले, ग्रंथों का प्रसार करनेवाले, ग्रंथों के लिए अर्पण संकलित करनेवाले एवं ग्रंथों का वितरण करनेवाले सभी को साधना का यह अपूर्व स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ है ।

रामनाथी (गोवा) सनातन आश्रम में विविध शारीरिक सेवाओं का अवसर !

रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में निर्माणकार्य, बढईकाम, रसोईघर, आदि सेवाएं करने हेतु पूर्णकालीन साधक अथवा कुछ कालावधि हेतु आश्रम में आकर सेवा करने में समर्थ साधकों की आवश्यकता है ।

रामनाथी, गोवा स्थित सनातन आश्रम, साथ ही गोवा, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्य में रोपण सेवा हेतु मानव संसाधन की आवश्यकता !

सनातन के रामनाथी आश्रम परिसर में विविध औषधीय वनस्पतियां, फल, फूल इत्यादि का बडी मात्रा में रोपण किया गया है ।

नागपंचमी

सर्पयज्ञ करनेवाले जनमेजय राजा को आस्तिक नामक ऋषि ने प्रसन्न कर लिया था । जनमेजय ने जब उनसे वर मांगने के लिए कहा, तो उन्होंने सर्पयज्ञ रोकने का वर मांगा एवं जिस दिन जनमेजय ने सर्पयज्ञ रोका, उस दिन पंचमी थी ।

देहली में हुए दंगे के समय मुसलमान महिलाओं को दिए गए निर्देश !

जनवरी एवं फरवरी २०२१ की अवधि में देहली नगर में ‘सीएए’ कानून के विरुद्ध मुसलमानों ने दंगा भडकाया । यह दंगा तो एक योजनाबद्ध षड्यंत्र था ।

मेजर ध्यानचंद ने १५ अगस्त १९३६ में तानाशाह हिटलर के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए उत्तर दिया – ‘भारत बिक्री के लिए नहीं है’

स्वतंत्रता के पूर्व ही प्रत्येक भारतीय को गर्व प्रतीत हो, ऐसी घटना १५ अगस्त १९३६ को हुई थी । इस दिन ‘हॉकी के जादूगर’ नाम से पहचाने जानेवाले भारतीय हॉकी खिलाडी मेजर ध्यानचंद ने जर्मनी के तानाशाह हिटलर का एक प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था ।

सर्वोत्तम शिक्षा क्या है ?

शिक्षा वही पूर्ण एवं सर्वोत्कृष्ट कहलाएगी जो मनुष्य के कुशलतापूर्वक निर्धारित, ध्येय पदार्थों को प्राप्त कराने का साधन हो ।

प्रारब्ध

अध्यात्म विषयक बोधप्रद ज्ञानामृत’ लेखमाला से भक्त, संत तथा ईश्‍वर, अध्यात्म एवं अध्यात्मशास्त्र तथा चार पुरुषार्थ ऐसे विविध विषयों पर प्रश्‍नोत्तर के माध्यम से पू. अनंत आठवलेजी ने सरल भाषा में उजागर किया हुआ ज्ञान यहां दे रहे हैं ।

वाराणसी के प्रसिद्ध श्री अन्नपूर्णामाता मंदिर के महंत रामेश्‍वरपुरीजी का देहत्याग !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के प्रसिद्ध श्री अन्नपूर्णामाता मंदिर के महंत रामेश्‍वर पुरीजी ने ११ जुलाई को देहत्याग किया । कुछ दिनों से लक्ष्मणपुरी के मेदांता चिकित्सालय में उन पर उपचार चल रहे थे ।