सनातन की ग्रंथमाला ‘भावजागृति हेतु साधना’

संकटकाल में प्राणरक्षा हेतु भक्तिभाव बढाएं !

‘बालभाव’ में रेखांकित चित्र (भाग १)

     बालभाव में साधक का भाव बालक की भांति निर्मल होता है । विविध कृत्य करते समय ‘स्वयं छोटी बच्ची हूं और मेरे साथ श्रीकृष्ण हैं’, ऐसा साधिका का भाव इस ग्रंथमें दिए इन चित्रोंसे प्रतीत होता है । बालभाव व्यक्त करनेवाले तथा कलात्मकता की दृष्टि से भी सुन्दर, ये चित्र देखनेवालों का भी ईश्‍वर के प्रति भाव जागृत करते हैं ।

‘बालभाव’ में रेखांकित चित्र (भाग २) यह ग्रंथ भी उपलब्ध !

भावके प्रकार एवं जागृति

प.पू. भक्तराज महाराजजी की एक भाव मुद्रा
  • भाव का अर्थ क्या है ? भाव के घटक कौनसे हैं ?
  • भाव की विशेषताएं क्या हैं एवं उनका महत्त्व क्या है ?
  • साधना में भाव का सर्वाधिक महत्त्व क्यों है ? भाव के प्रकार कौनसे हैं ?
  • व्यक्त भाव की तुलना में अव्यक्त भाव श्रेष्ठ क्यों है ? लगन और भाव का योग क्यों आवश्यक है ?