करवा चौथ
हिन्दू संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है । करवा चौथ पति एवं पत्नी दोनों के लिए नवप्रणय निवेदन तथा एक-दूसरे के लिए अपार प्रेम, त्याग, एवं उत्सर्ग की चेतना लेकर आता है ।
हिन्दू संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है । करवा चौथ पति एवं पत्नी दोनों के लिए नवप्रणय निवेदन तथा एक-दूसरे के लिए अपार प्रेम, त्याग, एवं उत्सर्ग की चेतना लेकर आता है ।
हिन्दू नारियो, भारत पर धर्मप्रेमियों एवं राष्ट्रप्रेमियों का राज्य होने पर हमारा देवधर्म, संस्कृति, इतिहास, भाषा, अस्मिता, आबालवृद्ध और स्त्रियों का रक्षण एवं पालन होगा, यह परम सत्य समझ लें ।
महाविद्यालयों और गृहनिर्माण संस्थाओं में महिलाओं का संगठन बनाकर किसी महिला पर अत्याचार होने पर उसके विरुद्ध संगठित रूप से कार्यवाही करें !
दुर्बल व्यक्ति की सर्वत्र निंदा की जाती है, इसे ध्यान में लेकर स्वयं के शरीर और मन को प्रतिकारक्षम बनाएं !
इजरायल में ज्यू वंशियों की सत्ता प्रस्थापित होते ही ज्यू राज्यकर्ताओं ने वहां की युवतियों द्वारा धर्मांध अरबों के साथ विवाह करने पर प्रतिबंध लगानेवाला कानून बनाया था, यह ध्यान में रखिए !
आज संस्कार एवं संस्कृति मृतप्राय: हो गई है । घर में सभी सुविधाएं होते हुए भी वहां संतुष्टि नहीं है । घर की स्त्री द्वारा धर्माचरण न करने से ऐसी घटनाएं हो रही हैं ।
तीर्थस्वरूप दादा और श्रीमती ताई के कारण हमारे घर का वातावरण आध्यात्मिक था । उनके निरंतर सहज वार्तालाप और आचरण के कारण हम पर साधना के संस्कार हुए ।
आध्यात्मिक प्रगति होने हेतु ‘स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन, नामजप एवं सत्सेवा’, ये साधना के प्रमुख चरण हैं । आप ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ नामजप करना आरंभ कर सकते हैं ।
‘निर्विचार’ नामजप के संदर्भ में की गई शोधपूर्ण जांच से ध्यान में आता है कि ‘निर्विचार’ जप आध्यात्मिक पीडा रहित एवं आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से अधिक है, ऐसे साधकों के लिए उपयोगी है ।
इंद्रियां, पञ्चतन्मात्रा आदिमें व्यक्त होनेवाले चैतन्यके अंशको भी देवता कहनेका प्रघात है; यथा वाणीकी देवता अग्नि, कानोंमें दिक देवता, आंखोंकी सूर्य, त्वचाकी वायु, चरणोंकी उपेन्द्र, हाथोंकी इन्द्र आदि ।