Karnataka Hijab Ban : सिद्धारमैया एक जाति के मुख्‍यमंत्री नहीं, अपितु पूरे राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हैं !

हिजाब प्रतिबंध हटाने के बयान पर पेजावर मठ के श्री विश्‍वप्रसन्‍न तीर्थ स्‍वामी जी की आलोचना !

Karnataka Hijab Ban : कर्नाटक में अभी तक हिजाब प्रतिबंध हटाया नहीं गया है !

हिन्‍दू संगठनों के विरोध के उपरांत मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया की बचावात्‍मक भूमिका !

Hijab Karnataka : कर्नाटक में हिजाब पर लगाए प्रतिबंध को हटाने का आदेश !

व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर गोमांस खाना, गोहत्या करना आदि को प्रोत्साहित करनेवाले मुख्यमंत्री द्वारा हिजाब पर लगाया प्रतिबंध हटाया जाना, यह कोई आश्चर्य बात है ? कर्नाटक में कांग्रेस को चुननेवाले हिन्दुओं को क्या यह स्वीकार है ?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने देहली जाने के लिए निजी विमान का उपयोग किया

जनता को कांग्रेस सरकार से, जनता के धन के होने वाले अपव्यय को वसूल करने की मांग करनी चाहिए !

Vishwaprasanna Theertha Swamiji : देश को ‘हिन्दू राष्ट्र’ कहना अनुचित होगा, तो इस राज्य को ‘कर्नाटक’ कहना भी अनुचित होगा !

पेजावर मठ के विश्वप्रसन्नतीर्थ स्वामीजी का स्पष्ट वक्तव्य !

विशेष न्यायालय स्थापित करने का कर्नाटक के मुख्यमंत्री का आदेश !

गौरी लंकेश और एम.एम. कलबुर्गी की हत्या का प्रकरण

मैं मुसलमानों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा ! – सिद्धारमैया, मुख्यमंत्री, कर्नाटक

‘कांग्रेस शासन अर्थात पाकिस्तानी शासन’ ऐसा ही समीकरण बन गया है । राजस्थान में इसी स्थिति के कारण हिन्दुओं ने कांग्रेस की पाकिस्तानी सरकार को उखाड फेंका । कर्नाटक के हिन्दुओं को इस वास्तविकता का ध्यान रखना चाहिए !

विजयनगर के प्राचीन विरुपाक्ष मंदिर के खंभे में मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के कार्यक्रम के समय छेद किया !

पुरातत्व विभाग की ओर से राज्य सरकार को नोटिस !

कर्नाटक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने तिलक लगवाना किया अस्वीकार !

कांग्रेस के हिन्दू नेता मस्जिद में जाकर गोल टोपी पहनते हैं, रमजान के समय इफ्तार की पार्टियों में उपस्थित रहते हैं; परंतु इन नेताओं को अपने ही धर्म की कृति करना अस्पृश्य लगता है । ऐसे लोग अस्पृश्यता पर अन्यों को ‘ज्ञान’ देते रहते हैं !

(और इनकी सुनिए…) ‘देश में ‘मनुस्मृति’ लागू होने पर ९५% लोग गुलाम होंगे ! – सिद्धरामय्या, मुख्यमंत्री, कर्नाटक

मनुस्मृति का सही अध्ययन किया तो यह कितनी उपयुक्त है, यह सिद्धरामय्या के ध्यान में आएगा; परंतु पारंपरिक वोट पाने के लिए आजकल मनुस्मृति की इस प्रकार आलोचना करने की नेताओं में होड लगी है, इसी का यह एक उदाहरण है !