साक्ष्यों (गवाहों) से कहा, हिन्दी  राष्ट्रीय भाषा है, इसलिए न्यायालय में हिन्दी में ही बोलना आवश्यक  !

सर्वोच्च न्यायालय का महत्त्वपूर्ण  निर्देश

ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण को स्थगिति देने हेतु सर्वोच्च न्यायालय का नकार !

१५ अगस्त १९४७ को ज्ञानवापी का क्या परिचय था ? – न्यायालय का मुसलमान पक्ष से  प्रश्‍न

राहुल गांधी के दंड को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थगिति !

दंड पर स्थगिति लाने के लिए प्रविष्ट याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में ४ अगस्त को सुनवाई  हुई । उस पर न्यायालय ने गांधी की दोषसिद्धता पर स्थगिति दी है ।

विहिंप के निदर्शन पर प्रतिबंध लगाने का सर्वोच्च न्यायालय की मनाही !

 नूंह (हरियाणा) में हिंसाचार प्रकरण

अपराध प्रविष्ट करने में देर होने का स्पष्ट ! – उच्चतम न्यायालय

भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड की अध्यक्षता में मणिपुर के प्रकरण पर १ अगस्त के दिन सुनवाई हुई । उच्चतम न्यायालय ने इस समय कहा कि ४ मई के दिन मणिपुर में २ महिलाओं को निर्वस्त्र कर जुलूस निकाले जाने के २ महा उपरांत अर्थात ४ जुलाई के दिन अपराध प्रविष्ट किया गया, यह स्पष्ट होता है ।

कांग्रेस के मुस्लिम नेता ने स्वयं के दल के नेता सचिन पाइलट से ही पूछा उत्तर  !

राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा जयपुर धमाकों के मुस्लिम अपराधियों को मुक्त करने पर सर्वोच्च न्यायालय में दी गई चुनौती का प्रकरण

सर्वोच्च न्यायालय से लेकर कनिष्ट न्यायालयों तक कुल ५ करोड प्रकरण लंबित हैं !

गत अनेक दशकों में सर्वदलीय सरकारें तथा और गईं ! यदि कोई देशभक्त यह सोचता है कि इस भीषण समस्या का स्थायी समाधान निकाले बिना प्रत्येक संसदीय सत्र में लंबित प्रकरणों की केवल बढती संख्या सूचित करने क्या उपयोग ? तो उसमें उसकी क्या त्रुटि ?

ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के विरुद्ध मुसलमान पक्ष द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमिटी ने उच्च न्यायालय में न जाकर सीधे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी । उस पर न्यायालय ने उन्हें उच्च न्यायालय में जाने का आदेश दिया था ।

समाज से अलग दिखे, ऐसे ढंग से न्यायमूर्ति विशेष सुविधाओं का लाभ न लें !

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड ने देश के सभी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्तियों को सुनाया !

कार्यवाही के लिए हम कुछ समय देंगे, अन्यथा हम ही कदम उठाएंगे  !

 सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र एवं राज्य सरकार को फटकारा  !