ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण को स्थगिति देने हेतु सर्वोच्च न्यायालय का नकार !

मुसलमान पक्ष की याचिका खारिज की  !

नई देहली – इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण को अनुमति देने के उपरांत मुसलमान पक्ष द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देकर सर्वेक्षण स्थगित करने की मांग की गई थी । ४ अगस्त को हुई सुनवाई में  सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों पक्षाें की बात सुनी तथा मुसलमान पक्ष की  याचिका खारिज करते हुए सर्वेक्षण स्थगित करना अस्वीकार कर दिया ।

सर्वेक्षण पर आपत्ति क्यों  ? – सर्वोच्च न्यायालय का मुसलमान पक्ष को प्रश्‍न

सुनवाई के समय सर्वोच्च न्यायालय ने मुसलमान पक्ष से पूछा कि,  इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में हम हस्तक्षेप क्यों करें ?  अयोध्या की श्रीरामजन्मभूमि के प्रकरण में भी पुरातत्व विभाग ने सर्वेक्षण किया था, तो ज्ञानवापी के सर्वेक्षण पर आपत्ति क्यों ? जिला न्यायालय एवं उच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण को अनुमति दी है, तो आपत्ति क्यों ? इस सर्वेक्षण से ज्ञानवापी परिसर की ऐसी कौन सी हानि होनेवाली है, जो सुधारी नहीं जा सकती ? पुरातत्व विभाग ने विश्‍वास दिया है कि, सर्वेक्षण से परिसर की कोई हानि नहीं होगी । वहां किसी प्रकार की खुदाई नहीं की जाएगी । खुदाई न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा । सर्वेक्षण का ब्योरा सीलबंद रखा जाएगा । सर्वेक्षण से किसी के अधिकारों का हनन नहीं होगा ।

१५ अगस्त १९४७ को ज्ञानवापी का क्या परिचय था ? – न्यायालय का मुसलमान पक्ष से  प्रश्‍न

सुनवाई के समय मुसलमान पक्ष द्वारा धार्मिक पूजा स्थल कानून १९९१ पर बहस की गई । मुसलमान पक्ष के अधिवक्ता ने कहा इस कानून के अनुच्छेद २ (ब) अंतर्गत १५ अगस्त १९४७ को धार्मिक स्थलों की जो स्थिति है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता । इस पर सरन्यायाधीश बोले कि, आप जो कह रहे हैं, वह उचित है; परंतु इस अनुच्छेद का अर्थ व्यापक है । प्रश्‍न यह है कि, १५ अगस्त  १९४७ को ज्ञानवापी का परिचय क्या था ?

आनेवाले ४ सप्ताह में सर्वेक्षण का ब्योरा प्रस्तुत करने का वाराणसी जिला न्यायालय का आदेश

सर्वोच्च न्यायालय में सर्वेक्षण पर सुनवाई चल रही थी, तब वाराणसी के जिला न्यायालय में भी इस प्रकरण पर सुनवाई की जा रही थी । २१ जुलाई  को हुई सुनवाई में न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था । उसके विरुद्ध मुसलमान पक्ष सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा । तब न्यायालय ने उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जाने के लिए कहा । उच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण को अनुमति दी थी । वाराणसी जिला न्यायालय ने सर्वेक्षण का ब्योरा ४ अगस्त को प्रस्तुत करने का आदेश दिया था; परंतु हुए इस विरोध के कारण समय सीमा बीत जाने से हिन्दू पक्ष द्वारा याचिका प्रविष्ट कर यह समय सीमा बढाने की मांग की गर्ई थी । उस पर  सुनवाई  करते हुए न्यायालय ने अगले ४ सप्ताह में सर्वेक्षण का ब्योरा प्रस्तुत करने का नया आदेश दिया । इसलिए इस मास के अंत तक यह ब्योरा प्रस्तुत किया जा सकता है ।