SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE : ज्ञानवापी, भोजशाला आदि प्रकरणों में पक्षकार हिन्दू नेता को विद्यालय ने शिक्षक के पद से हटाया !

  • लक्ष्मणपुरी (उत्तरप्रदेश) की ‘सिटी माँटेसरी स्‍कूल’का हिन्दूद्वेष !

  • हिन्दू मंदिरों को अतिक्रमणमुक्त करने की याचिकाओं में पक्षकार होने से, साथ ही हिन्दुओं के धर्मांतरण के विरोध में कार्यरत होने से विद्यालय को था क्षोभ !

  •  विश्व के सबसे बडे विद्यालय के रूप में गौरवान्वित !

लक्ष्मणपुरी (उत्तरप्रदेश) – यहां के विख्यात सी.एम्.एस्. के (सिटी माँटेसरी स्‍कूल के) शिक्षक तथा प्रखर हिन्दुत्वनिष्‍ठ श्री. कुलदीप तिवारी को विद्यालय के द्वारा शिक्षक की नौकरी से हटाए जाने की घटना सामने आइॅ है । श्री. तिवारी भोजशाला, ज्ञानवापी, मथुरा आदि प्रकरणों में हिन्दू पक्षकार होने से, साथ ही उनके द्वारा इस्लामी अतिक्रमण के विरोध में निरंतर आवाज उठाई जाने से उन पर यह बडी कार्यवाही की गई है ।

हिन्दुत्वनिष्‍ठ श्री. कुलदीप तिवारी

विशेष बात यह कि इस विद्यालय को ‘विश्व का सबसे बडा विद्यालय’ का गौरव प्राप्त है । इस संदर्भ में ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि द्वारा विद्यालय की प्रधानाध्यापिका जयश्री कृष्‍णन् से संपर्क करने पर उन्होंने बैठक में व्यस्त होने का कारण देकर बोलना टाल दिया, साथ ही उनसे पुनः दूरभाष करने पर उन्होंने चलित भ्रमणभाष नहीं लिया । इसके साथ ही लक्ष्मणपुरी के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार क्या इस प्रकरण में कोई कार्यवाही की, यह पूछने हेतु उनके स्वीय सचिव आशुतोष के साथ बात हो पाई; परंतु गंगवार से बातचीत नहीं हो पाई ।

प्रधानाध्यापिका जयश्री कृष्‍णन्

ऐसा है चौकानेवाला घटनाक्रम !

श्री. कुलदीप तिवारी ने लक्ष्मणपुरी के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उनके साथ की गई अन्यायपूर्ण कार्यवाही की शिकायत की है । इस शिकायत की प्रति ‘सनातन प्रभात’के पास उपलब्ध है । उसमें समाहित महत्त्वपूर्ण सूत्र निम्न प्रकार से हैं :

१. श्री. तिवारी वर्ष २००९ से अर्थात विगत १५ वर्षाें से इस विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं ।

२. स्‍वयं एक धर्मनिष्‍ठ हिन्दू होने से वे प्रतिदिन विद्यालय जाते समय तिलक लगाते थे । इसके साथ ही उन्होंने शिखा भी रखी है । विद्यालय की प्रधानाध्यापिका जयश्री कृष्णन् तथा उपप्रधानाध्यापिका रिटा फ्‍लेमिंग उनकी इन कृतियों का सदैव विरोध कर उन्हें नौकरी से निकालने की चेतावनी देती थीं । उन्हें समय-समय पर कार्यालय बुलाकर उनका अनादर भी किया गया था; परंतु तिवारी ने कभी इस विरोध को भीख नहीं डाली ।

‘सनातन प्रभात’के प्रतिनिधि ने जब इस संदर्भ में श्री. तिवारी से पूछा, तब उन्होंने कहा कि विद्यालय के अन्य भी शिक्षक मेरी भांति धर्माचरण करते थे; परंतु विद्यालय व्यवस्थापन ने उन्हें कार्यवाही की धमकी दी; इसलिए उन्होंने धर्माचरण करना छोड दिया । यह विद्यालय अन्य निजी विद्यालयों की तुलना में शिक्षकों को अच्छा वेतन देती है; इसलिए जीविका का ऐसा अच्छा साधन छोडने का कोई विचार भी नहीं करता । (यह घटना श्री. कुलदीप तिवारी की धर्म के लिए किसी भी स्तर तक जाकर त्याग करने की तैयारी दर्शाती है । ऐसे हिन्दू ही हिन्दू धर्म की सच्ची शक्ति हैं । ‘धर्मो रक्षति रक्षित: ।’, इस वचन के अनुसार भगवान उनकी रक्षा करेंगे, यह निश्चित है; इसे हिन्दुओं को ध्यान में लेना चाहिए ! – संपादक)

३. इस शिकायत में आगे कहा गया है कि श्री. तिवारी मथुरा की श्रीकृष्‍णजन्‍मभूमि, साथ ही वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में हिन्दू पक्षकार हैं । उनके द्वारा स्थापित संस्था ‘जन उद्घोष सेवा संस्‍थान’के माध्यम से वे राष्ट्रहित के अनेक कार्य कर रहे हैं । कुछ महिने पूर्व प्रदर्शित फिल्म ‘आदिपुरुष’में ‘श्रीरामचरितमानस’ के विषय में अनुचित चित्रण किए जाने के विरोध में उन्होंने इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ में जनहित याचिका प्रविष्‍ट की थी । उस पर न्यायालय में सुनवाई भी की थी । इसके साथ ही शरिया कानून संविधान के विरुद्ध होने की बात कहते हुए उस पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय में प्रविष्ट की गई याचिका में श्री. तिवारी एक पक्षकार हैं । हिन्दुओं का धर्मांतरण न हो, इसके लिए उनका संगठन उद्बोधक कार्यक्रम लेता है; इसलिए विद्यालय व्यवस्थापन की उन पर कुदृष्टि थी ।

४. २९ अक्टूबर २०२३ में श्री. तिवारी की संस्था ने लक्ष्मणपुरी में काशी-मथुरा-भोजशाला के विषय में जनजागरण करनेवाली भव्य आध्‍यात्मिक एवं सांस्‍कृतिक राष्‍ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन किया था, जिसका राष्ट्रीय स्तर के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अवलोकन किया तथा हिन्दुओं की समस्याओं के विषय में संबोधन भी दिया था । इस प्रदर्शनी के आयोजन के उपरांत विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने श्री. तिवारी को ‘आप नौकरी से त्यागपत्र दीजिए अथवा हम ही आपको नौकरी से निकालेंगे’, ऐसी चेतावनी दी ।

५. मार्च २०२४ में न्यायालय के आदेश से मध्‍यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला का सर्वेक्षण आरंभ हुआ, उस समय श्री. तिवारी वहां उपस्थित थे, साथ ही उन्होंने इस संदर्भ में प्रसारमाध्यमों के सामने आकर हिन्दुओं का पक्ष भी रखा । इसके उपरांत विद्यालय व्यवस्थापन ने कुछ झूठे आरोप लगाकर उन्हें नौकरी से निकाल दिया । १ जुलाई २०२४ को उन्हें विद्यालय की ओर से इसका आधिकारिक पत्र मिला । इस आधार पर श्री. तिवारी ने ४ जुलाई को लक्ष्मणपुरी के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इस संदर्भ में शिकायत की है ।

मुसलमान शिक्षकों की भरमारवाली तथा बहाई पंथ का प्रसार करनेवाला ‘सिटी माँटेसरी स्‍कूल’ !

इस घटनाक्रम के विषय में बातचीत करते समय अनेक चौंकानेवाले तथ्य सामने आए । ‘सिटी माँटेसरी स्‍कूल’ विद्यालय में बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा दी जाती है । इस विद्यालय में शहर के ६५ सहस्र छात्र शिक्षा लेते हैं । शहर में इस विद्यालय की २० से २५ शाखाएं हैं । श्री. जगदीश अगरवाल ने इस विद्यालय की स्थापना की है तथा उन्होंने इस्लाम की शाखा बहाई पंथ का स्वीकार किया है । उनके विद्यालय में अधिकांश शिक्षक मुसलमान अथवा ईसाई पथ के हैं । उनके विद्यालय में इफ्‍तार पार्टी का आयोजन किया जाता है । बहाई पंथ इस्लाम पंथ का ही एक भाग है तथा इस विद्यालय के माध्यम से धर्मांतरण करने के प्रयास किए जाते हैं, ऐसे आरोप लगाए गए हैं । इस विद्यालय को विदेशों से बडे स्तर पर चंदा मिलता है । यह विद्यालय न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की परिषदों का आयोजन करना है, जिसमें ५० से ६० देशों के न्यायाधीश भाग लेते हैं । काले धन को सफेद बनाने हेतु ही ऐसे प्रयास किए जाते हैं, ऐसा गंभीर आरोप भी श्री. तिवारी ने लगाया है । (सरकार को ऐसे विद्यालयों का अन्वेषण कर उनकी अनुमति ही रद्द करनी चाहिए, यह धर्मनिष्ठ हिन्दुओं की मांग है ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका

  • किसी निजी विद्यालय के शिक्षक को उसके व्यक्तिगत जीवन में क्या करना चाहिए, यह बताने का विद्यालय व्यवस्थापन को क्या अधिकार ? हिन्दुत्व का दमन करने हेतु ही ऐसे काम किए जाते हैं, इसे ध्यान में लें ! हिन्दुओं को ऐसे विद्यालयों के विरोध में संगठित होकर आवाज उठानी चाहिए ! 
  • हिन्दूविरोधी ‘इकोसिस्‍टम’ (व्यवस्था) किस प्रकार कार्यरत है, यह स्पष्ट करनेवाला यह उदाहरण है । हिन्दुओं के अस्तित्व पर संकट बने इस षड्यंत्र को उखाड फेंकने हेतु हिन्दूसंगठन समय की मांग है, इसे जान लें !