आदर्श प्राचीन भारतीय न्याय व्यवस्था !

‘आत्मा, शरीर, इंद्रिय, अर्थ, बुद्धि, ज्ञान, सिद्धि, मन, वृत्ति, दोष, भूत, परिणाम एवं न्यायसूत्र के विषयों पर लिखनेवाले गौतम ऋषि ने कहा, ‘दुःख जन्मप्रवृत्तिदोष मिथ्याज्ञान मुत्तरोत्रापे तदन्तर पयदापा वर्गः ।’