समष्टि को अध्यात्म का ज्ञान मिले, इसकी लगन रखनेवाले सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !
‘प्राणशक्ति बहुत अल्प होते हुए भी प.पू. डॉक्टरजी उनके आसपास होनेवाली प्रत्येक घटना का निरीक्षण करते हैं तथा उनकी नियमित प्रविष्टियां भी रखते हैं ।
‘प्राणशक्ति बहुत अल्प होते हुए भी प.पू. डॉक्टरजी उनके आसपास होनेवाली प्रत्येक घटना का निरीक्षण करते हैं तथा उनकी नियमित प्रविष्टियां भी रखते हैं ।
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रेरणा से ही वर्ष २००२ में ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ की स्थापना हुई । यहां हम उनके द्वारा हिन्दुत्वनिष्ठों का किया गया मार्गदर्शन दे रहे हैं ।
सनातन संस्था की दिेहली की साधिका अधि. अमिता सचदेवा की पुत्री कु. सिमरन सचदेवा ने १० वीं की परीक्षा (CBSE) में ९४ प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं ।
इस वर्ष गुरुदेव का उत्तराषाढ़ा जन्मनक्षत्र २७.५.२०२४ को प्रातः १०.१४ बजे प्रारंभ होगा तथा गुरुदेव की जन्म तिथि वैशाख कृष्ण सप्तमी ३०.५.२०२४ को पूर्ण होगी । इसलिए गुरुदेव का जन्मदिन इस वर्ष २७ से ३०.५.२०२४ तक मनाया जाना चाहिए।
श्रीविष्णुरूप सहित इस वर्ष की नृत्य-आराधना की विशेषता थी बालकृष्ण एवं यशोदा मैया की सुंदर लीलाएं ! साधिकाओं ने इतनी तन्मयता से वो लीलाएं साकार कीं कि कार्यस्थल पर मानो गोकुल अवतरित हुआ ।
नेत्र तृप्त हो जाते, मधुर वचन संतुष्टि प्रदान करते ।
सान्निध्य के क्षण सभी के मन-मंदिर में बस जाते ।।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के इर्द-गिर्द प्रकाशमान वृत्त प्रतीत होने पर ‘उनमें आध्यात्मिक शक्ति वास कर रही है’, ऐसा ध्यान में आया
‘गोवा स्थित सनातन संस्था के संस्थापक प.पू. डॉ. जयंत आठवलेजी मानवीय रूप में दैवीय अवतार हैं । वे अपनी मातृभूमि पर अर्थात भारत पर असीम प्रेम करते हैं । सनातन संस्था का मुख्यालय भले ही गोवा में है; परंतु प.पू. डॉ. आठवलेजी का अध्यात्मप्रसार एवं धर्मरक्षा का कार्य संपूर्ण विश्व में फैल गया है ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध केंद्र में इस आध्यात्मिक सीख का प्रभाव मुझे दिखाई दिया । सहस्राें जिज्ञासु वहां आते हैं और वहां की सात्त्विकता के कारण उन सहस्रों लोगों का जीवन की ओर देखने का दृष्टिकोण परिवर्तित होता है । परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी वहां की शक्ति हैं ।
‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के गौरवास्पद कार्य के विषय में तथा उनके सान्निध्य में पिछले ५ वर्ष में मिले आध्यात्मिक अनुभवों के विषय में पू. पंडित डॉ. केशव गिंडेजी कुछ संतवचनों के माध्यम से बता रहे हैं…