गुरुपद पर विराजमान होते हुए भी स्वयं का निरालापन न जताते हुए साधकों में घुल-मिल जानेवाले डॉ. आठवलेजी !
निरपेक्ष प्रीति के उच्च बिंदु हैं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ! उनमें भगवान के सभी गुणों की प्रतीति होती है । अपना कोई भी भिन्न दल न रखकर सहजता के साथ साधकों के स्तर पर आकर उनके साथ रहने के संदर्भ में साधकों द्वारा अनुभव किए हुए कुछ क्षण यहां दे रहे हैं !