कोटि-कोटि प्रणाम !
२४ नवंबर २०२४ को सनातन के श्रद्धास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी के महानिर्वाण दिन निमित्त उनके श्री चरणों में भक्तिपूर्ण वंदन
२४ नवंबर २०२४ को सनातन के श्रद्धास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी के महानिर्वाण दिन निमित्त उनके श्री चरणों में भक्तिपूर्ण वंदन
इस स्तंभ से हम व्यायाम की आवश्यकता तथा उसके महत्त्व की जानकारी लेनेवाले हैं, साथ ही व्यायाम के संबंध में शंकाओं का समाधान भी करेंगे ।
सनातन के प्रेरणास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा समर्पित भावसुमनांजलि !
प.पू. भक्तराज महाराजजी एवं परात्पर गुरुदेवजी के चित्र बनाते समय श्री. प्रसाद हळदणकर को हुई अनुभूतियां यहां दे रहे हैं
श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा बताए अमृत वचन
‘मुझे विविधांगी सेवाएं मिलने का मुख्य कारण – मेरा गुण ‘जिज्ञासा’ और मुख्यत: ‘गुरुकृपा’ है’, ऐसा लगना, आध्यात्मिक कष्टों पर नामजप आदि उपचार बताना तथा दूसरों के लिए नामजपादि उपचार करना ।’ अब इस लेख का अगला भाग दे रहे हैं ।(भाग २)
किसी भी कार्य के लिए समय सुनिश्चित करने से ‘उसी समयावधि में हमें वह कृति करनी है’, इसका स्मरण रहता है तथा प्रतिदिन उन कृतियों को करने से हम उसके अभ्यस्त हो जाते हैं ।
सर्वप्रथम ऋषियों ने ही मानव जीवन व्यतीत करने हेतु आवश्यक साधनों का आविष्कार किया । उन्होंने मनुष्य के जीवनोद्धार हेतु अनिवार्य वेदों का ज्ञान समाज तक पहुंचाया । ऐसे त्यागी एवं तपस्वी ऋषियों के मनुष्य पर अनंत कोटि उपकार हैं । मनुष्य के लिए देवता-समान इन ऋषियों के प्रति कोटि-कोटि कृतज्ञता व्यक्त करेंगे !
वसिष्ठ ऋषि, विश्वामित्र ऋषि, भृगु ऋषि, अत्रि ऋषि, अगस्त्य ऋषि, नारद मुनि इत्यादि ने जो शिक्षा दी है, वह शिक्षा तथा उनके नाम युग-युग से चिरंतन हैं । इसके विपरीत, बुद्धिजीवी तथा धर्मद्रोहियों के नाम १-२ पीढियों में सभी भूल जाते हैं ।
‘प्रत्येक युग में ‘धर्मसंस्थापना’ करना’ श्रीविष्णु का कार्य है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ आठवलेजी कलियुग के श्रीविष्णु के अवतार हैं ! उचित समय एवं उचित स्थिति आते ही श्रीविष्णु के अवतार सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी पृथ्वी पर ‘धर्मसंस्थापना’ करेंगे’, इसमें कोई संदेह नहीं है ।’ – सप्तर्षि