केरल उच्च न्यायालय की ओर से ‘पी.एफ.आई.’ को ५ करोड रुपए का दंड
केवल दंड ही नहीं, तो संबंधित लोगों को कठोर दंड देकर उन्हें कारावास में डालें !
केवल दंड ही नहीं, तो संबंधित लोगों को कठोर दंड देकर उन्हें कारावास में डालें !
किसी मुसलमान ने हिन्दुओं के समान धार्मिक कृति की, तो मुसलमान उसका विरोध करते हैं, यदि हिन्दुओं ने मुसलमानों समान धार्मिक कृति की, तो उसकी प्रशंसा की जाती है, यह ध्यान में लें !
यह विधान मुसलमानों को उकसाने का भाग नहीं है क्या ? ‘पी.एफ्.आई’का समर्थन करनेवाले ऐसे सभी लोगों पर भी सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए !
हिन्दुओं को लगता है कि कर्नाटक में भाजपा की सरकार होते हुए धर्मांधों को ऐसा करने का दुस्साहस नहीं होना चाहिए !
हिन्दुओं के मंदिरों में वाद-विवाद के कारण वहां के धार्मिक कार्य के लिए अनुमति लेने के लिए कहनेवाला प्रशासन क्या कभी अन्य धर्मियों के धार्मिक स्थल के संदर्भ में ऐसा आदेश देता है ?
ईरानी सरकार की दमन नीति ! सरकार को ध्यान में रखना चाहिए कि इस तरह के दमन से आंदोलन और प्रखर होते हैं !
जिहादी और अब खालिस्तानी, दोनों ही हिन्दुओं को अपना लक्ष्य बना रहे हैं, ऐसे में हिन्दुओं की रक्षा कौन करेगा ? इस स्थिति में परिवर्तन के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना अपरिहार्य है !
‘केरल में माकप गठबंधन की सरकार होते हुए उसने यह हिंसाचार क्यों नहीं रोका ?’, इसका उत्तर देना चाहिए !
केरल में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा २३ सितंबर को किए बंद के समय हुई हिंसा की केरल उच्च न्यायालय ने स्वयं ध्यान देते हुए कहा कि, ‘सार्वजनिक संपत्ति की हानि को सहन नहीं किया जा सकता’ । ‘इस प्रकार से कोई भी बंद नहीं कर सकता । यह बंद अवैध है’, ऐसा उच्च न्यायालय ने कहा है ।
यह मानवता को कालिख पोतनेवाली घटना है । इससे वासनांध धर्मांधों की पशुवृत्ति का आभास होता है !