कथित पशु प्रेमी, साथ ही पशुचिकित्सक डॉ. हृदेश शर्मा का अज्ञानता वाला बयान !
ठाणे – पितृ पक्ष के समय कौवों एवं अन्य जानवरों और पक्षियों को दिया जाने वाला भोजन उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, यह कहना है पशु प्रेमी और पशुचिकित्सक डॉ. हृदेश शर्मा का ।
‘The food offered during #Pitrupaksha (ritual worshipping ancestors), is harmful to animals and birds.’ – Animal conservationist and veterinarian Dr. Hridesh Sharma.
👉 Crows and other stray animals, eat garbage everyday. But such conservationists are absolutely unconcerned,… pic.twitter.com/XkDuJwCOre
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) September 26, 2024
पशु-पक्षियों के लिए थोड़ी मात्रा में पका हुआ भोजन रखना चाहिए । पका हुआ भोजन मनुष्यों के लिए है; लेकिन इसे पशु-पक्षी पचा पाएंगे या नहीं, इस पर कोई शोध नहीं हुआ है। ऐसे खाद्य पदार्थ देने से उनके स्वास्थ्य को संकट हो सकता है। पितृपक्ष की परंपराओं का पालन करते समय मूक आत्माओं का भी ध्यान रखना चाहिए । कौए को केवल एक घांस भोजन ही देना चाहिए । उनका यह भी कहना है कि तला-भुना खाना नहीं देना चाहिए।
पिंडदान और कौए का माहात्म्य !श्राद्ध कर्म में कौआ एक माध्यम है । हिन्दू धर्म में बताए गए ४ ऋणों में पितृ ऋण भी सम्मिलित है । कौवे की विशेष दृष्टि होती है। इसलिए पितृपक्ष में उनके लिए अन्न रखा जाता है। आध्यात्मिक विज्ञान के अनुसार, ‘काकगति’ पिंडदा में आह्वान के अनुसार पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने वाले लिंगदेह की गति के अनुरूप है। लिंगदेह कौवे के शरीर में प्रवेश करता है और पिंड में मौजूद अन्न को खाता है। यह लिंगदेह को तृप्त करता है और उस भोजन से प्राप्त ऊर्जा उसे आगे की यात्रा के लिए आंतरिक शक्ति प्रदान करती है। पितरों के लिए रखे गए भोजन को केवल स्थूल दृष्टि से ही नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसके पीछे के सूक्ष्म पहलुओं को भी जानना चाहिए ! |
संपादकीय भूमिका
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