खालिस्तानियों का प्रबंध !

इस्लाम की त्रुटियां वैचारिक स्तर पर आगे आने पर आज पूरे विश्व से इस्लाम का विरोध हो रहा है । जिस प्रकार कूटनीति का उपयोग कर खालिस्तानी आंदोलन कठोरता से तोड डालना चाहिए, साथ ही यहां के सिखों का भी वैचारिक प्रबोधन किया जाना चाहिए ! 

शरीर निरोगी रहने के लिए अयोग्य समय पर खाने से बचें !

‘सोने-उठने का समय निश्चित नहीं, व्यायाम नहीं, नित्य ही रात को चिप्स, सेव, चिवडा-नमकीन इत्यादि खा रहे हैं, तब भी यदि आप निरोगी हैं, तो यह आपके पूर्वजन्म के पुण्यों के कारण है; परंतु ध्यान रहे कि पुण्य समाप्त होते ही अब जो गलत आदतें हैं उनका परिणाम रोगों के रूप में दिखाई देने लगेगा ।

घोर आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व अधिक गति से आवश्यक ग्रंथ-रचना की सेवा में सम्मिलित होकर शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति कर लें !

‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने बताया है, ‘घोर आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व अधिकाधिक ग्रंथों की निर्मिति कर उसके द्वारा समाज को साधक बनाना’ आज के समय की श्रेष्ठ समष्टि साधना है !’ इस प्रकार ग्रंथ-रचना का कार्य अधिक गति से करने का एक दृष्टि से परात्पर गुरु डॉक्टरजी का अव्यक्त संकल्प ही हुआ है ।

प्राकृतिक पद्धति से लगाई गई शकरकंद के एक अंकुर से ३ माह में २ किलो से भी अधिक शकरकंद मिलना

‘हम छोटी-सी भी कृति करते हैं, तो भगवान कितना देते हैं’, इसकी ही यह अनुभूति है ।

हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार (धार्मिक पद्धति से) विवाह संस्कार करने के कारण आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त तथा आध्यात्मिक पीडारहित वधू-वरों को मिले हुए आध्यात्मिक स्तर के लाभ

विवाह का वास्तविक उद्देश्य है – ‘दो जीवों का भावी जीवन एक-दूसरे के लिए पूरक एवं सुखी बनने के लिए ईश्वर के आशीर्वाद प्राप्त कर लेना !’ इसके लिए धर्मशास्त्र में बताए अनुसार विवाह संस्कार करना आवश्यक होता है ।

विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडली मिलाने का महत्त्व

‘हिन्दू धर्म में बताए अनुसार सोलह संस्कारों में से ‘विवाह संस्कार’ महत्त्वपूर्ण संस्कार है । विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडलियों के मिलान की पद्धति भारत में पहले से ही प्रचलित है ।

समाज मन पर हिन्दू धर्म, भारतीय संस्कृति एवं साधना का महत्त्व अंकित कर उसे कार्यप्रवीण बनानेवाले स्वामी विवेकानंदजी !

आप यदि धर्म छोडकर जड को सर्वस्व माननेवाली पश्चिमी सभ्यता के पीछे दौडेंगे, तो आप तीन पीढियों में ही नष्ट हो जाएंगे । हिन्दुओं ने धर्म छोड दिया, तो हिन्दुओं के जीवन की रीढ ही टूट जाएगी, इसे आप समझ लें ।

प्रखर देशप्रेमी एवं स्वाभिमानी महाराणा प्रताप !

महाराणा प्रताप का संबंधी राजा मानसिंह अकबर के अधीन हो चुका था । बादशाह के दरबार में वह बडे ऐशोराम से रह रहा था । जब उसे महाराणा प्रताप की दयनीय स्थिति के विषय में ज्ञात हुआ, उस समय वह उनसे मिलने वन में गया ।

समय का सदुपयोग हो, इसके लिए करने योग्य आवश्यक प्रयास !

नित्य जीवन में हमें कुछ मात्रा में खाली समय उपलब्ध होता है । ‘इस खाली समय का विनियोग कैसे किया जाए ?’, यह उस व्यक्ति पर, साथ ही उस समय की प्राप्त परिस्थिति पर निर्भर होता है । काल की प्राप्त परिस्थिति निरंतर परिवर्तित हो सकती है; परंतु व्यक्ति पर निर्भर खाली समय का हम उपयोग कर सकते हैं ।