‘धर्म के लिए कार्य करना आवश्यक है’, यह भी न जाननेवाले तथाकथित हिन्दू धर्मप्रेमी !

‘अनेक तथाकथित हिन्दू धर्मप्रेमियोंको लगने लगता है कि ‘मैं धर्म के लिए बडा कार्य करता हूं’; परंतु वास्तव में उनके द्वारा कुछ भी कार्य नहीं हुआ होता है ।पिछले कुछ वर्षाें में हिन्दू अधिवेशनों में आए कुछ हिन्दू धर्मप्रेमियों के अनुभव आगे दिए गए हैं ।

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के लिए आए हिन्दुत्वनिष्ठों को साधना का महत्त्व समझाने का अवसर मिलना !

आज के समय में बहुत ही अल्प लोग साधना करते हैं । अधिकतर लोगों को ‘साधना करनी होती है’, यही ज्ञात नहीं है । हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुत्व का कार्य मन से करते हैं; परंतु उनकी साधना न होने से वह कार्य बहुत कुछ प्रभावी सिद्ध नहीं होता । उसके कारण उनकी शक्ति का व्यय तो होता है; किंतु उससे कुछ लाभ नहीं होता ।

‘१८.७.२०२३ से १६.८.२०२३ इस काल में ‘अधिक मास’ (मलमास) है । इस मास में नाम, सत्संग, सत्सेवा, त्याग, दान आदि का महत्त्व अधिक होता है । इस मास में दान करने से अधिक गुना फल मिलता है ।

सर्वत्र के अर्पणदाताओं को अन्नदान करने का सुअवसर !

सनातन संस्था द्वारा पूरे देश में ७२ स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में संपन्न !

माया के भवसागर से शिष्य एवं भक्त को धीरे से बाहर निकालनेवाले, उससे आवश्यक साधना करवानेवाले तथा कठिन समय में उसे निरपेक्ष प्रेम से आधार देकर संकटमुक्त करनेवाले गुरु ही होते हैं । ऐसे परमपूजनीय गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है गुरुपूर्णिमा !

सनातन के मराठी एवं हिन्दी ‘ई-बुक’ ‘अध्यात्मका प्रस्तावनात्मक विवेचन’ का लोकार्पण !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी के करकमलों से ३ जुलाई २०२३ अर्थात गुरुपूर्णिमा के दिन सनातन के मराठी एवं हिन्दी भाषा के ‘ई-बुक’ ‘अध्यात्मका प्रस्तावनात्मक विवेचन’ का लोकार्पण किया गया ।

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा पूरे देश में ८३ स्थानों पर मनाए गए ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ में हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष !

हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पूरे देश में ८३ स्थानों पर उत्साहपूर्ण वातावरण में ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ मनाया गया । महोत्सव के आरंभ में श्री व्यासपूजा एवं प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने तिरुपति के श्री बालाजी के दर्शन कर व्यक्त की कृतज्ञता !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का ‘ब्रह्मोत्सव’ निर्विघ्न संपन्न होने हेतु नाडीपट्टिका के माध्यम से महर्षि ने तिरुपति जाकर श्री बालाजी के दर्शन कर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए बताया था ।