आत्मज्योति, ज्ञानज्योति, ईशज्योति, धर्मज्योति के विषय में विवेचन
कर्म, भक्ति और ज्ञान के संगम गुरुकृपायोग की निर्मिति, चैतन्य का स्रोत बने गुरुकुल समान आश्रमों की निर्मिति, आध्यात्मिक प्रगति हेतु स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन प्रक्रिया, अब तक ११२ साधक संत बने तथा १ सहस्र ३२८ साधकों का संतपद की ओर मार्गक्रमण