सभी पाठक, शुभचिंतक और धर्मप्रेमियों से नम्र निवेदन !
१. धनतेरस का महत्त्व : ‘२.११.२०२१ को ‘धनतेरस’ है । ‘धन’ अर्थात शुद्ध लक्ष्मी ! इस दिन मनुष्य के पोषण हेतु सहायता करनेवाले धन (संपत्ति) की पूजा की जाती है । व्यापारियों की दृष्टि से धनतेरस से नववर्ष आरंभ होता है, वे इस दिन तिजोरी की पूजा करते हैं । सत्कार्य हेतु धन अर्पण करना, यही श्री लक्ष्मी की खरी पूजा है । धर्मशास्त्र कहता है कि ‘मनुष्य स्वयं की संपत्ति का १/६ भाग प्रभु कार्य हेतु व्यय करें ।’
धनतेरस के शुभमुहूर्त पर भगवत कार्य के लिए, अर्थात भगवान के धर्मसंस्थापना के कार्य हेतु धन अर्पित करें । धन का विनियोग सत्कार्य के लिए होने पर धनलक्ष्मी लक्ष्मीरूप में सदैव साथ में रहेगी ।
२. सत्कार्य हेतु अर्थात धर्मप्रसार के कार्य हेतु धन का विनियोग हो, इसलिए ‘सत्पात्र को दान’ करें ! : वर्तमान में धर्म की स्थिति विकट है । धर्मशिक्षा के अभाव में हिन्दुओं का धर्माभिमान नष्ट हो गया है । इसलिए ‘धर्म के पुनरुत्थान का कार्य करना’ इस काल का प्रधान भगवत कार्य है, जिसे करना आवश्यक है । धर्मप्रसार करनेवाले संत, साथ ही राष्ट्र और धर्म की रक्षा हेतु कार्य करनेवाली संस्था अथवा संगठन के कार्य हेतु दान करना, यह कालानुसार सर्वश्रेष्ठ दान है । विगत अनेक वर्षाें से सनातन संस्था धर्मजागृति का कार्य निरपेक्ष भाव से कर रही है । अर्पणदाताओं द्वारा सनातन संस्था को किए गए दान (अर्पण) का विनियोग धर्म की पुनर्स्थापना के लिए होगा, यह सुनिश्चित है !
– श्री. वीरेंद्र मराठे, व्यवस्थापकीय विश्वस्त, सनातन संस्था. (११.१०.२०२१)
धनत्रयोदशी के निमित्त दान करने के इच्छुक दाता स्वयं की जानकारी सूचित करें ।नाम और संपर्क क्रमांक : श्रीमती भाग्यश्री सावंत – ७०५८८८५६१० संगणकीय पता : [email protected] पत्रव्यवहार हेतु पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा. पिन ४०३४०१ https://www.sanatan.org/en/donate – इस लिंक पर भी दान (अर्पण) करने की सुविधा उपलब्ध है ।’ |