अधिवक्ताओं की ऐसी शिक्षा का क्या उपयोग ?
‘अपराधी को बचाने का प्रयास करनेवाले अधिवक्ता होते हैं, अर्थात उन्हें अधिवक्ता बनना सिखानेवाले महाविद्यालयों में नैतिकता का मूलभूत सिद्धांत नहीं सिखाया जाता। ऐसी शिक्षा का क्या उपयोग है ?’
‘अपराधी को बचाने का प्रयास करनेवाले अधिवक्ता होते हैं, अर्थात उन्हें अधिवक्ता बनना सिखानेवाले महाविद्यालयों में नैतिकता का मूलभूत सिद्धांत नहीं सिखाया जाता। ऐसी शिक्षा का क्या उपयोग है ?’
दैनिक ‘सनातन प्रभात’ने इस वर्ष रजतमहोत्सवीय अर्थात २५ वें वर्ष में पदार्पण किया है । व्या वर्षात पदार्पण केले आहे. हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के हिन्दूहित के आंदोलनों को ‘सनातन प्रभात’ के कारण वैचारिक बल मिलता है ।
प्रतिभावान एवं चारित्र्यसंपन्न हिन्दुत्वनिष्ठों के संगठन इस वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव को आकाशगंगा की उपमा दी जा सकेगी । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजर इस आकाशगंगा को साधना के ज्ञान के द्वारा प्रकाश देनेवाले एकमात्र स्वप्रकाशी सूर्य हैं ।
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति हमारे लिए गुरु द्रोणाचार्य की भांति हैं ! परमपूज्य डॉ. आठवलेगुरुजी को देखने पर बहुत ऊर्जा मिलती है । वैसी ही ऊर्जा इस ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में सम्मिलित होने पर मिलती है, जो अगले वर्षतक हमारे लिए पर्याप्त होती है ।
‘शरीर, मन एवं बुद्धि से समझ में आए, ऐसा विश्व में १ लक्षांश प्रतिशत भी न होने पर भी उससे समझ में आनेवाली बातों का महिमामंडन करनेवालों के नाम का उल्लेख क्या कभी इतिहास में किया जाएगा ?’
‘मुझे ‘यह चाहिए’, ‘वह चाहिए’, ऐसा शासनकर्ताओं से मांगनेवाले और ‘मुझे अपना मत दीजिए’, ऐसा जनता से मांगनेवाले नेता ईश्वर को प्रिय होंगे अथवा राष्ट्र एवं धर्म के लिए सर्वस्व का त्याग करनेवाले ईश्वर के प्रिय होंगे? ‘
‘पूरे विश्व के विदेशी लोगों को भारत के विषय में प्रेम प्रतीत होता है, उसका कारण है भारत के संतों द्वारा सिखाई जानेवाली साधना तथा अध्यात्म, न कि नेता और शासनकर्ता !’
‘धर्मशिक्षा के कारण धर्म के लिए त्याग करने के लिए लाखों मुसलमान तैयार रहते हैं । इसके विपरीत हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न होने के कारण वे बुद्धिप्रमाणवादी बनकर धर्म को ही झूठा घोषित कर देते हैं !’
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी की सीख समझने में सरल, जीवन के छोटे-बडे उदाहरणों के माध्यम से अध्यात्म सिखानेवाली एवं कृति के स्तर पर साधना संबंधी मार्गदर्शन करती है ।
समारोह में धातु पर उकेरा गया उत्तराधिकार पत्र सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को प्रदान किया । सनातन की गुरुपरंपरा के ये अनमोल क्षण साधकों ने भावपूर्ण स्थिति में अनुभव किए । श्री. विनायक शानभाग ने उत्तराधिकार पत्र का वाचन किया ।