व्यक्तिगत स्वतंत्रता समर्थकों का अज्ञान !
‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर अपने मनानुसार आचरण करनेवाले, चिकित्सा, न्याय इत्यादि किसी भी क्षेत्र में अपने मनानुसार आचरण नहीं करते । केवल आध्यात्मिक परंपराओं के विषय में ही मनानुसार आचरण करते हैं ।’
‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर अपने मनानुसार आचरण करनेवाले, चिकित्सा, न्याय इत्यादि किसी भी क्षेत्र में अपने मनानुसार आचरण नहीं करते । केवल आध्यात्मिक परंपराओं के विषय में ही मनानुसार आचरण करते हैं ।’
‘क्या किसी भी शिक्षा सम्राट ने ऋषि-मुनियों की भांति शिक्षा क्षेत्र में कार्य किया है । आजकल के शिक्षा सम्राट, शिक्षा के माध्यम से अधिकाधिक धन अर्जित करनेवाले सम्राट हैं !’
‘राष्ट्र-धर्म प्रेमियो, केवल स्वयं के क्षेत्र का ही नहीं अपितु व्यापक होने हेतु चिकित्सा, न्यायालय, पुलिस, सरकारी कार्यालय इत्यादि सभी क्षेत्रों में हो रहा अन्याय खोजकर उसके विरुद्ध वैध मार्ग से आवाज उठाएं !’
‘संकट के समय सहायता हो, इसलिए हम अधिकोष (बैंक) में धन रखते हैं । उसी प्रकार संकट के समय सहायता हो, इसलिए साधना का धन हमारे पास होना आवश्यक है ।’
आंखें खोलने पर दिखाई देता है, उसी प्रकार साधना से सूक्ष्मदृष्टि जागृत होने पर सूक्ष्म आयाम का दिखाई देता है और समझ में आता है । साधना से सूक्ष्म दृष्टि जागृत होने तक बुद्धिप्रमाणवादी दृष्टिहीन होते हैं ।’
‘भारत में पुलिस के साथ ही सभी क्षेत्रों में अपराधी हैं, यह स्वतंत्रता से लेकर अभी तक के सभी शासनकर्ताओं के लिए लज्जाजनक है । बच्चों को पाठशाला में साधना सिखाते, तो बडे होकर वे अपराधी न बनते ।’
शोध का निष्कर्ष बताते हुए कु. मिल्की अग्रवाल ने कहा कि ‘‘कोई अध्यात्मशास्त्र के अनुसार सत्यनिष्ठा से साधना करे, तो कुछ समय के उपरांत उसके जीवन के दु:ख तथा तनाव घटते हैं तथा उस व्यक्ति को शांति एवं आनंदप्राप्ति में सहायता होती है ।’’
परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने साधकों को ‘गुरुकृपायोग’ का साधनामार्ग बताकर ‘ईश्वरप्राप्ति’ का ध्येय दिया, जिससे साधक उनमें नहीं अटकते
आपातकाल में अन्न, पानी, औषधि, ईंधन आदि समय पर उपलब्ध होना कठिन होता है । आपातकाल में परिवार के लिए आवश्यक नित्योपयोगी तथा प्रासंगिक वस्तुओं का अभाव होता है । आपातकाल की दृष्टि से उपयुक्त वस्तुएं खरीदना सरल हो, इस हेतु यहां विभिन्न वस्तुओं की सूची दी है ।
ग्रंथसेवा श्रेष्ठ ज्ञानशक्ति के स्तर की सेवा है । इसलिए शीघ्र आध्यात्मिक प्रगति करानेवाली भी है । इसलिए युवको, अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित होकर इस सुवर्ण अवसर का लाभ लो !