भावी भयंकर आपातकाल के संकट को पहचानकर परिवार के लिए आवश्यक वस्तुएं अभी खरीदकर रखें !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘वर्ष २०२० में पूरे विश्व ने ‘कोरोना’ महामारी के रूप में आपातकाल की झलक अनुभव की । वर्तमान में रूस-यूक्रेन युद्ध, तुर्की तथा सीरिया में आया बडा भूकंप, दिनोदिन विश्व का बढता तापमान, अमेरिका तथा यूरोप के जंगलों में लगी भीषण आग इत्यादि घटनाएं हमारी आंखों के सामने हैं । अनेक संत-महात्मा, भविष्यवक्ता आदि ने समय-समय पर बताया है कि ‘आनेवाला आपातकाल बहुत भयंकर’ होगा । बहुत बार समष्टि प्रारब्ध, सूक्ष्म जगत की अनिष्ट शक्तियों के परिवर्तित होते दांवपेंच, कालचक्र इत्यादि के कारण आपातकाल की अवधि आगे-पीछे होती है, इसलिए आपातकाल पर विजय पाने के लिए सभी को सदैव तैयार रहना चाहिए । आपातकाल में अन्न, पानी, औषधि, ईंधन आदि समय पर उपलब्ध होना कठिन होता है । आपातकाल में परिवार के लिए आवश्यक नित्योपयोगी तथा प्रासंगिक वस्तुओं का अभाव होता है । आपातकाल की दृष्टि से उपयुक्त वस्तुएं खरीदना सरल हो, इस हेतु यहां विभिन्न वस्तुओं की सूची दी है । परिवार के सदस्यों की संख्या, उनकी आयु तथा घर में कक्षों (कमरों) की संख्या आदि के अनुसार आवश्यक वस्तुएं उचित मात्रा में खरीदकर रखें । आगे दी वस्तुओं के अतिरिक्त अन्य वस्तुओं की आवश्यकता अनुभव हो, तो उसे भी खरीदकर रखें ।

१. नित्योपयोगी आवश्यक वस्तुएं

दंतमंजन, दाढी बनाने की सामग्री, केश काटने का सामान, स्नान करने तथा कपडे धोने का साबुन, कपडे, केश तेल, कुमकुम, दर्पण (आईना), महीन दांतोंवाली दोतरफा कंघी, कंघा, ‘नेल कटर’ (नाखून काटने का उपकरण), चश्मा (प्रतिदिन उपयोग करनेवाला चश्मा टूट सकता है ।), इस्त्री (संभव हो तो कोयले से चलनेवाली), ओढने-बिछाने का सामान, झाडू, प्रसाधनगृह स्वच्छ करने की वस्तुएं, लेखनी (पेन तथा पेंसिल), जूते-चप्पल इत्यादि

२. रसोईघर से संबंधित वस्तुएं

संडसी, चिमटा (उपयोग की जा रही संडसी अथवा चिमटा बिगड सकता है ।), खलबत्ता, चाकू/पहंसुल की धार तेज करनेवाला पत्थर इत्यादि

३. ऋतुओं के अनुरूप उपयोगी वस्तुएं

३ अ. ग्रीष्मकाल में उपयोगी वस्तुएं : हवा करने के लिए हाथ पंखा, काला चश्मा (गॉगल), धूप में मुख (चेहरा) तथा गरदन ढंकने के लिए बडा रुमाल (स्कार्फ), टोपी इत्यादि

३ आ. वर्षा ऋतु में उपयोगी वस्तुएं : छाता, ‘रेनकोट’, बरसाती जूते-चप्पल इत्यादि

३ इ. शीत ऋतु में उपयोगी वस्तुएं : ‘स्वेटर’, हाथमोजे (दस्ताने), मोजे, कानटोपी, शॉल, मफलर, कंबल (ब्लैंकट) इत्यादि

४. घर में रखी जानेवाली आवश्यक वस्तुएं

४ अ. घर में छोटे-मोटे सुधार (मरम्मत) करने के लिए उपयोगी वस्तुएं : टेकुरी (चमडे की चप्पल का अंगूठा टूटने पर, उसे लगाने के लिए जो छोटी कील उपयोग करते हैं ।), कील, हथौडी, पाना, प्लायर, पेंचकस (स्क्रू ड्राइवर), ‘कटर’, लकडी की छोटी पटिया काटने की आरी, पटिया रगडने के लिए (रेतमार) पॉलिश पेपर, कैंची, मापक फीता (मीटर टेप) आदि

४ आ. सिलाई के लिए उपयोगी वस्तुएं : सुई-धागा, बटन, कैंची, मापक फीता (कपडा नापने के लिए ‘इंची टेप’), सिलाई यंत्र इत्यादि

४ इ. उपद्रवी जीवों की रोकथाम हेतु आवश्यक वस्तुएं : मच्छर, चूहे, तेलचट्टे, खटमल, चींटी, जूं, लीख (जूं के अंडे) इत्यादि की रोकथाम हेतु औषधियां; चूहा पकडने का पिंजरा, मच्छरदानी इत्यादि

४ ई. घर में अतिरिक्त संख्या में रखी जानेवाली वस्तुएं : स्नान के लिए बालटी तथा मग, कपडे भिगोने की बालटी, कपडे धोने का ब्रश, बिजली से संबंधित वस्तुएं जैसे बिजली के दीये (बल्ब), दंडदीप (ट्यूब), बिजली को जोडनेवाला थ्री पिन प्लग अर्थात ‘स्वीच बोर्ड’, इस्त्री अथवा अन्य किसी कार्य के लिए तीन छेद का एक बोर्ड । वहां ‘थ्रीपिन’ डालते हैं, जहां से नए स्थान पर विद्युतप्रवाह ले जाया जाता है । ‘होल्डर’ (इसमें बिजली का दीया अर्थात ‘बल्ब’ लगाया जाता है ।), पैरों में डालनेवाली ‘चप्पल’ के पट्टे इत्यादि

४ उ. अन्य वस्तुएं : आकाशवाणी से प्रसारित होनेवाली सरकारी सूचनाएं सुनने के लिए छोटा रेडियो अथवा ट्रांजिस्टर, चाबी से चलनेवाली घडी, उत्पादन दिनांक से आगे अनेक वर्ष चलनेवाली स्वचालित (ऑटोमेटिक) हाथ की घडी (ऐसी हाथ की घडी ५० वर्ष तक अच्छे से चलती है ।) हाथ की हलचल से वह चलती है । (हाथ से निकालकर रखने पर साधारणतया ३ दिन चलती है ।), सौर ऊर्जा पर चलनेवाली घडी, चल-दूरभाष प्रभारित करने हेतु ‘पोर्टेबल सोलर चार्जर’, ‘गैस लाइटर’, विंडप्रूफ ‘लाइटर’ , मोमबत्ती, सुतली, रस्सा (मोटी रस्सी), कपडे सुखाने की रस्सी, साइकल में हवा भरने का ‘पंप’, विद्युप्रवाह (करंट) जांचने का ‘टेस्टर’ इत्यादि

५. रोगियों के लिए उपयोगी वस्तुएं

तापमापी (थर्मामीटर), दर्द में सेंकने के लिए गरम पानी की रबड की थैली, आयुर्वेदिक गोलियों का चूर्ण बनाने के लिए छोटा खलबत्ता, ‘कमोड’ की कुर्सी, डायपर (मल-मूत्र सोखनेवाला वस्त्र) इत्यादि

‘आनेवाले आपातकाल हेतु स्वयं के लिए उपयोगी वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए’, यह अन्य जीवों की समझ में नहीं आता । हम तो मनुष्य हैं, अत: इसका लाभ उठाएंगे ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले (१.८.२०२३)