महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा मॉरिशस में ‘ऑनलाइन’ शोधनिबंध प्रस्तुत : ‘तनावपूर्ण संसार में शाश्वत आनंद प्राप्त करना’
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी शोधनिबंध के लेखक हैं एवं श्री. शॉन क्लार्क सहलेखक हैं ! |
फोंडा (गोवा) – ‘‘नियमित आध्यात्मिक साधना तथा स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन हेतु नियमित प्रयास करने से हम सभी समस्याओं को मात कर पाते हैं तथा हमें शाश्वत सुख अर्थात आनंद की अनुभूति होती है’’, ऐसा ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की कु. मिल्की अग्रवाल ने कहा । मॉरिशस में हुए ‘इमोशनल वेल बिइंग इन्स्टिट्यूट’ ने (इ.डब्ल्यू.बी.आई. ने) ‘मॉरिशस मुक्त विद्यापीठ’ तथा ‘रॅदुइ तथा मिडलसेक्स युनिवर्सिटी, मॉरिशस’ के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित ‘फर्स्ट इमोशनल वेल बिइंग इंटरनेशनल कॉन्फरेन्स’ में (इ.डब्ल्यू.बी.आय.सी. में) वे बोल रही थीं । कु. मिल्की अग्रवाल ने ‘तनावपूर्ण संसार में शाश्वत आनंदप्राप्त करना : आध्यात्मिक शोध द्वारा अंतर्दृष्टि’ विषय पर शोधनिबंध ‘ऑनलाइन’ प्रस्तुत किया । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक तथा शोध गुट के सदस्य श्री. शॉन क्लार्क (आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत) इसके सहलेखक हैं ।
कु. मिल्की अग्रवाल ने आगे बताया कि ‘‘शाश्वत आनंद मिलने के लिए हम श्रद्धापूर्वक प्रतिदिन तीन स्तरीय समाधान योजना अपना सकते हैं । प्रथम ईश्वर का नामजप करना । ‘जी.डी.वी. बायोवेल’ वैज्ञानिक उपकरण का उपयोग कर प्रयोग में ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ नामजप केवल ४० मिनट करने पर कुंडलिनी चक्र एक रेखा में आकर प्रयोग करनेवाले की ओर प्रचुर मात्रा में आकर्षित होते हुए दिखाई दी । दूसरा है, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा विकसित की स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया ! तीसरा है, प्रतिदिन खडे नमक के पानी में १५ मिनट पैर डुबोकर बैठने का उपचार करने से शरीर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलने में सहायता होती है ।’’
शोध का निष्कर्ष बताते हुए कु. मिल्की अग्रवाल ने कहा कि ‘‘कोई अध्यात्मशास्त्र के अनुसार सत्यनिष्ठा से साधना करे, तो कुछ समय के उपरांत उसके जीवन के दु:ख तथा तनाव घटते हैं तथा उस व्यक्ति को शांति एवं आनंदप्राप्ति में सहायता होती है ।’’
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय परिषद में यह ८९ वां प्रस्तुतीकरण था । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने अभी तक १०७ परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं एवं १३ अंतरराष्ट्रीय परिषदों में सर्वोत्कृष्ट शोधनिबंध पुरस्कार प्राप्त किया है । |