एक भी मावळा (छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिक) तैयार न कर पानेवाले राजनीतिक दल !
‘स्वतंत्रता से लेकर अभी तक एक भी मावळा तैयार न कर पानेवाले राजनीतिक दल, क्या कभी हिंदवी स्वराज्य की स्थापना कर पाएंगे ?’
‘स्वतंत्रता से लेकर अभी तक एक भी मावळा तैयार न कर पानेवाले राजनीतिक दल, क्या कभी हिंदवी स्वराज्य की स्थापना कर पाएंगे ?’
‘पृथ्वी के कानून और जमा-खर्च आदि सब व्यर्थ हैं । अंत में प्रत्येक को ईश्वरीय कानून एवं जमा-खर्च इत्यादि का सामना करना पडता है ।’
‘कुछ पंथ पैसे देकर अथवा धमकी देकर अन्य लोगों को अपने पथ में लाते हैं। इसके विपरीत हिंदू धर्म की अद्वितीय सीख के कारण लोग उसे अपनाते हैं । तब भी बुद्धिप्रमाणवादी हिंदू धर्म की सीख को अनुचित कहते हैं !’
‘ऐसा प्रतीत होना कि पुनः जन्म ही न हो अथवा यह कि भक्ति करने के लिए बार-बार जन्म हो, ये दोनों ही स्वेच्छा है । इससे आगे का चरण है, ऐसा लगना कि सब कुछ ईश्वर की इच्छा के अनुसार हो !’
एकाएक रोगग्रस्त (बीमार) हुए अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति पर डॉक्टर, वैद्य अथवा रुग्णयान (एंबुलेंस) उपलब्ध होने तक किए जानेवाले तात्कालिक अथवा प्राथमिक स्वरूप के उपचारों को ‘प्राथमिक उपचार’ कहते हैं । प्राथमिक उपचार में चिकित्सकीय उपचार (‘मेडिकल ट्रीटमेन्ट’) सम्मिलित नहीं है ।
‘भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में जो ज्ञान विशद किया है, उसका प्रत्यक्ष आचरण कैसे किया जाए ? ईश्वरप्राप्ति के साथ ही धर्मसंस्थापना के कार्य में सहभागी होकर जीवन का उद्धार कैसे करें ?’ परात्पर गुरुदेवजी लिखित ग्रंथ एवं उनके समष्टि कार्य से यह साध्य हो रहा है । इससे उनके अवतारी कार्य की प्रतीति होती है ।
‘सहस्त्र वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों द्वारा बताए मूलभूत सिद्धांतों में कोई भी परिवर्तन नहीं कर सकता; क्योंकि उन्होंने चिरंतन सत्य प्रतिपादित किया है । इसके विपरीत बुद्धिप्रमाणवादियों को विज्ञान में निरंतर शोध करना पड़ता है; क्योंकि उनके सिद्धांत कुछ वर्षों में परिवर्तित हो जाते हैं ।’
‘सहस्रों वर्षों से भारत के हिंदुओं ने ईश्वरप्राप्ति की दिशा में मार्गक्रमण किया । अन्य देशों की भांति पृथ्वी पर अपना साम्राज्य स्थापित करने का प्रयास नहीं किया; क्योंकि उन्हें इसकी निरर्थकता ज्ञात थी ।’
‘भारत में पुलिस के साथ ही सभी क्षेत्रों में अपराधी हैं, यह स्वतंत्रता से लेकर अभी तक के सभी शासनकर्ताओं के लिए लज्जाजनक है । बच्चों को पाठशाला में साधना सिखाते, तो बडे होकर वे अपराधी न बनते ।’
‘पहले मुसलमानों ने, तदुपरांत अंग्रेजों ने हिंदुओं की दयनीय स्थिति की और आज अधिकांश राजनीतिक दल हिंदुओं की स्थिति दयनीय कर रहे हैं !’