घातक संभाव्य महामारी ‘डिसीज एक्स’ पर उपचार हेतु किया जानेवाला नामजप

‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने दावा किया है कि पूरे जगत में ‘कोरोना’ महामारी से भी ७ गुना घातक ‘डिसीज एक्स’ नामक महामारी आनेवाली है और इससे विश्व के ५ करोड लोग अपने प्राण गंवा सकते हैं । यह महामारी पूरे विश्व में कभी भी आतंक मचा सकती है ।

आदर्श राजा प्रभु श्रीराम समान दैवी गुण युक्त सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी !

ऋषि-मुनियों ने भी विविध नाडीपट्टिकाओं में लिखकर रखा है कि सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे, पर साधकों के मन में भी यह प्रश्न उठ सकता है कि ‘कैसे ?’; इस विजयादशमी पर हम यह विषय समझेंगे ।

आधुनिक विज्ञान से श्रेष्ठ हिन्दू धर्मग्रंथ !

आधुनिक विज्ञान की उत्पत्ति के पूर्व ही हिन्दू धर्मग्रंथ विकसित अवस्था में थे । आज विज्ञान जो खोज करता है, वह खोज हमारे ऋषि मुनियों ने सहस्रों वर्ष पूर्व ही कर ली थी ।

वैज्ञानिक तथा संत !

‘वैज्ञानिक स्थूल संबंधी बातों पर शोधकार्य करते हैं, जबकि संत सूक्ष्म आयाम संबंधी बातों को जानते हैं और कुछ अवसरों पर उन पर अधिकार भी प्राप्त करते हैं !’

श्रेष्ठ कौन – मनुष्य अथवा प्राणी एवं वनस्पति ?

‘मनुष्य को छोडकर अन्य कोई भी प्राणी अथवा वनस्पति छुट्टी नहीं लेता । ईश्वर भी एक भी सेकंड की छुट्टी नहीं लेते; परंतु मनुष्य शनिवार और रविवार को छुट्टी लेता है । इतना ही नहीं, वर्ष के कुछ दिन अधिकार पूर्वक छुट्टी लेता है । ऐसे में इस संदर्भ में मनुष्य श्रेष्ठ है अथवा प्राणी एवं वनस्पति ?

साधनाके विषय में केवल प्रश्न न पूछें, कृति करें !

‘साधना के विषय में कुछ लोग केवल प्रश्न पूछते रहते हैं; परंतु कृति कुछ नहीं करते । वे लॉर्ड अलफ्रेड टेनिसन का आगे दिया वचन ध्यान में रख साधना करें । 

हिन्दुओ, दिन-रात संगठित रहना काल की आवश्यकता है, यह समझो !

भारत तथा हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए साम, दाम, दंड एवं भेद ऐसी सभी नीतियों का उपयोग किया । काल के अनुरूप हिन्दुओं ने मिलकर कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त किया । इससे हिन्दुओ, अपनी एकता का बल समझो !

बुद्धिप्रमाणवादियों का व्यर्थ अहंकार !

बुद्धिप्रमाणवादियों को अहंकार होता है कि मानव ने विभिन्न यंत्र बनाए । उनको यह समझ में नहीं आता कि ईश्वर ने जीवाणु, पशु-पक्षी ७०-८० वर्ष चलनेवाला एक यंत्र, अर्थात मानव शरीर जैसे अरबों चीजें बनाई हैं । क्या वैज्ञानिक उनमें से एक भी बना पाए हैं ?

सात्त्विक व्यक्तियों के जीवन का अंतिम ध्येय !

‘सात्त्विक व्यक्तियों के व्यष्टि जीवन का अंतिम ध्येय होता है, ईश्वरप्राप्ति और समष्टि जीवन का अंतिम ध्येय होता है, रामराज्य !’